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Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के भोपाल में NGO के हॉस्टल से एक बालक और 26 बच्चियां गायब हो गई हैं। यहां 68 बच्चियों के रहने की एंट्री है। सिर्फ 41 बच्चियां ही मिलीं। पुलिस ने FIR दर्ज की ली है। राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी संज्ञान लिया है।

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एनजीओ के हॉस्टल (चिल्ड्रन होम) से एक बालक और 26 बच्चियां गायब हो गईं। परवलिया पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी संज्ञान लिया है। तारा सेवनिया में चिल्ड्रन होम बिना अनुमति के संचालित हो रहा है। बताया जाता है कि 68 बच्चियों के रहने की एंट्री है, लेकिन यहां मात्र 41 बच्चियां मिलीं।

सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है
चिल्ड्रन होम में मध्यप्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट के अलावा गुजरात, झारखंड और राजस्थान की बच्चियां रहती हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखा है। आयोग ने सीएस से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है।

ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही 
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने शुक्रवार को आंचल मिशनरी संस्था द्वारा संचालित चिल्ड्रन होम का निरीक्षण किया। यहां के संचालक अनिल मैथ्यू ने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए, उनको बिना सरकार को सूचना दिए चलाए जा रहे अपने हॉस्टल यानी चिल्ड्रन होम में रखा है। उनसे ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही है। 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं। संस्था को जर्मनी से फंड मिलता है।

सीडब्ल्यूसी के सामने नहीं किया पेश, सीधे हॉस्टल में रखा 
राष्ट्रीय बाल आयोग के अधिकारियों का कहना है कि मप्र सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्प लाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है। एनजीओ संचालक ने भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में आंचल नाम से हॉस्टल बनाया है। एनजीओ के कर्मचारियों ने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर आए डिस्ट्रेस और मुश्किल में फंसे बच्चों के कॉल के आधार पर साल 2020 से रेस्क्यू शुरू किया।

अब तक 43 बच्चियों को रेस्क्यू किया। इनकी उम्र 6 से 18 साल के बीच है। इस संस्था ने बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा। नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर, बालिका गृह में भेजा जाना था।

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