वोटर लिस्ट विवाद: महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में सवाल, उमंग सिंघार बोले-2023 चुनाव में 16 लाख वोटों का हेरफेर

भोपाल: वोटर लिस्ट विवाद पर प्रेस कान्फ्रेंस करते उमंग सिंघार
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भोपाल: वोटर लिस्ट विवाद पर प्रेस कान्फ्रेंस करते उमंग सिंघार
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में वोटर लिस्ट गड़बड़ी का बड़ा आरोप। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दावा-भाजपा ने चुनाव आयोग की मदद से 16 लाख फर्जी वोट जोड़े। पढ़ें पूरी खबर

MP Elections 2023 Fake Votes: लोकसभा चुनाव में वोटर लिस्ट गड़बड़ी का मुद्दा उठाए जाने के बाद अब मध्यप्रदेश में भी सियासी हलचल बढ़ गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मंगलवार, 19 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधानसभा चुनाव-2023 में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा, भाजपा ने चुनाव आयोग की मदद से लगभग 16 लाख फर्जी वोट जोड़कर सरकार बनाई।

राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाए सिंघार

वोटर लिस्ट गड़बड़ी के मुद्दे पर उमंग सिंघार ने राहुल गांधी के आरोपों का भी समर्थन किया। कहा, भाजपा ने फर्जी जनादेश लेकर सरकार बनाई है। चुनाव आयोग ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। राहुल गांधी ने 7 अगस्त की प्रेस कान्फ्रेंस में कर्नाटक की महादेवपुरा सीट में 1 लाख फर्जी वोट जोड़ने का आरोप लगाया था।

2023 चुनाव में जोड़े 16 लाख वोट

उमंग सिंघार ने के मुताबिक, साल 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले 34 लाख से ज्यादा वोटर मतदाता सूची में जोड़े गए। 16 लाख मतदाता सिर्फ दो महीने में बढ़े। यानी 26 हजार नाम रोज जोड़े गए।

अचानक कैसे बढ़ गया वोटों का अंतर?

उमंग सिंघार ने दावा किया, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करीब 41 फीसदी वोट मिले थे। जो भाजपा से महज 1% वोट कम थे, लेकिन 2023 में यह अंतर अचानक 8-9% तक पहुंच गया। जबकि, इस चुनाव में भी हमें लगभग उतने ही वोट मिले थे। यानी साफ है बढ़े हुए वोट बीजेपी को मिले हैं।

कांग्रेस को 27 सीटों पर हुआ नुकसान

उमंग सिंघार ने बताया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 27 सीटें बहुत कम अंतर से हारी है। उनका आरोप है कि 5 हजार वोट से कम अंतर वाली सीटों पर 7-10 हजार वोट अचानक बढ़ा दिए गए, जिससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

RTI में सामने आई विसंगतियां

उमंग सिंघार ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने 2022 में 8.5 लाख नकली वोट हटाने का आदेश दिया, लेकिन RTI में जानकारी मांगने पर बोला गया कि हम डिजिटल डेटा नहीं रखते। जबकि, नियम-32 के तहत डेटा 3 साल तक सुरक्षित रखना अनिवार्य है।

मतदाता सूची और फोटो पर सवाल

उमंग सिंघार ने यह भी कहा कि आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फोटो शामिल करने से बचता है, जबकि सरकार योजनाओं का प्रचार करते समय लाभार्थियों के फोटो और वीडियो सार्वजनिक करती है।

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