टैक्सी चालक के घर ईडी की रेड: फर्जी क्रिप्टोकरेंसी ऑपरेटर से जुड़े धनशोधन मामले में एक बैग व कई कागजात ले गई टीम

Police personnel and paramilitary forces present outside the house during the raid in Mayur Vihar.
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मयूर विहार में छापामार कार्रवाई के दौरान घर के बाहर मौजूद पुलिस कर्मी एवं अर्धसैनिक बल। 
सोनीपत में मयूर विहार में रह रहे टैक्सी चालक के आवास पर पहुंची ईडी की टीम ने लगभग पूरा दिन घर को खंगाला व एक बैग के साथ ही कई कागजात अपने साथ ले गई।

Sonipat: मयूर विहार में रह रहे टैक्सी चालक के आवास पर पहुंची ईडी की टीम ने लगभग पूरा दिन घर को खंगाला व एक बैग के साथ ही कई कागजात अपने साथ ले गई। बताया गया है कि टैक्सी चालक का भाई विदेश में है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू कश्मीर व हरियाणा में कई स्थानों पर छापेमारी की। ईडी एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी ऑपरेटर से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत छापेमारी कर रही है। जांच में पता चला कि 2508 निवेशकों ने कुल 7,34,36,267 रुपए का निवेश किया था।

टैक्सी चालक का खंगाला घर

ईडी की टीम पुलिस बल के साथ शुक्रवार को सुबह करीब 7 बजे सोनीपत के मयूर विहार की गली नम्बर 24 में रह रहे टैक्सी चालक रमेश गुलिया के आवास पर पहुंची। ईडी ने घर में मौजूद सभी सदस्यों को भीतर ही रखा जबकि घर के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई। ईडी की टीम ने घर के कई सदस्यों से पूछताछ की और रिकार्ड मांगा। कई कागजात ईडी ने अपने साथ ले लिए। सूत्रों से पता चला है कि ईडी ने एक बैग भी बरामद किया है, जिसमें कुछ कैश हो सकता है। शाम के समय ईडी की टीम रवाना हो गई। ईडी के साथ अर्धसैनिक बलों के जवान भी मौजूद थे।

विदेश में है टैक्सी चालक का भाई नरेश

सूत्रों से पता चला है कि टैक्सी चालक रमेश का भाई नरेश विदेश में रहता है, जो क्रिप्टो करेंसी का काम करता है। ईडी के अफसरों ने नरेश के बारे में रमेश से पूछताछ की है। रमेश का पूरा परिवार गोहाना के गांव लाठ का रहने वाला है। इनका एक तीसरा भाई महेश भी है। बताया गया है कि नरेश 1995 में आर्मी में भर्ती हुआ था जबकि ट्रेनिंग जबलपुर में हुई थी। नौकरी ज्वाइन करने क़े 15 साल बाद उसने वीआरएस ले ली थी।

यह बताया जा रहा है मामला

टैक्सी चालक रमेश गुलिया के भाई नरेश गुलिया पर फर्जी क्रिप्टोकरंसी में धोखाधड़ी, जालसाजी समेत कई आरोप हैं। सूत्र बताते हैं कि कंपनी के भारत में दो प्रमोटर थे, जिसमें सोनीपत का नरेश गुलिया भी शामिल है। साल 2019 में कंपनी को जानबूझकर भंग कर दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि पूरे मामले में एक रियल एस्टेट का व्यवसाय भी शुरू किया गया था और नकली क्रिप्टोकरंसी के व्यापार के माध्यम से इकट्ठे किए हुए धन से जम्मू में जमीन खरीदी गई थी। साल 2017 में इमोलिएंट कॉइन के नाम से एक क्रिप्टोकरंसी की एप्लीकेशन तैयार की गई थी। इसे डिजिटल करेंसी के माध्यम से बिटकॉइन के बराबर प्लेटफार्म चलने को लेकर कारोबार शुरू किया गया था, जिसके अंतर्गत 100 डालर में खाता खोला जाता था। इसमें एक चैन सिस्टम के तहत अलग-अलग खाते खोले जाते थे, जिसमें एक कॉइन के रेट बढ़ जाते थे।

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