पंजाब-हरियाणा जल विवाद : पंजाब ने सर्वदलीय बैठक में भी पानी देने से किया मना, आज हरियाणा जाएगा सुप्रीम कोर्ट

CM Bhagwant Singh Mann present in the all-party meeting in Punjab.
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पंजाब में सर्वदलीय बैठक में मौजूद सीएम भगवंत सिंह मान।
भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हरियाणा सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है।

पंजाब-हरियाणा जल विवाद : भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हरियाणा सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। संभवत: आज ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। शुक्रवार को दिल्ली में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की एक अहम बैठक में संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच सहमति नहीं बन सकी। वहीं, पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर फिर से दोहराया कि वे हरियाणा को पानी नहीं देंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ बैठक में नहीं बनी सहमति

नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ बैठक में BBMB अधिकारियों के अलावा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल के मुख्य सचिव शामिल हुए। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें पानी को लेकर बढ़ते तनाव की समीक्षा की गई। दोनों पक्षों के बीच पानी के वितरण को लेकर सहमति बनाने की कोशिश नाकाम रही। हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी और गृह सचिव सुमिता मिश्रा ने इस मुद्दे पर केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए और यह केवल राज्यों के बीच का नहीं, बल्कि नागरिकों के अधिकारों का सवाल है।

पंजाब में पानी पर सभी पार्टियों को एक मंच पर लाई आप

पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में ऑल पार्टी मीटिंग आयोजित की, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया। हालांकि बैठक में केवल भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ स्वयं उपस्थित हुए, जबकि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा। मीटिंग के बाद हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सभी दल पंजाब सरकार के साथ खड़े हैं और पानी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात की जाएगी। मुख्यमंत्री मान ने यह भी आरोप लगाया कि एकतरफा आदेश के जरिए पंजाब का पानी हरियाणा को देने का निर्णय पहले लिया गया, जो न केवल अनुचित है, बल्कि पंजाबियों के साथ अन्याय भी है। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा की जाए, जिसके लिए सोमवार को विशेष सत्र बुलाया गया है।

पंजाब के भाजपा नेता जाखड़ बोले-राई का पहाड़ बना दिया

पंजाब में भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि राज्य के पास खुद पानी की भारी कमी है और वर्तमान में जो 4 हजार क्यूसिक पानी हरियाणा को दिया जा रहा है, वह भी मानवीय आधार पर है। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे पर मीटिंग बुलाई गई थी, यह मामला राई को पहाड़ बनाने जैसा है। एक साइड BBMB के अफसर बदल दिए। इन्होंने ताले लगा दिए हैं। यह चीज शोभा नहीं देती। दोनों राज्यों के सीएम को इस मामले में उचित फैसला लेना चाहिए।

दिल्ली में सरकार बदलते ही आप ने पंजाब में दिखाया रंग : श्रुति चौधरी
Haryana Irrigation and Water Resources Minister Shruti Chaudhary addressing the press.
हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी प्रेस को संबोधित करते हुए।

हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने पंजाब सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब पानी की आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई। अब जब दिल्ली में स्थिति बदली है, तो पंजाब सरकार ड्रामा कर रही है। यही पानी हरियाणा से दिल्ली और राजस्थान भी जाता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए और इस तरह आम जनता को परेशान करना गलत है। उन्होंने कहा कि हम पानी के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। संभावना है कि शुक्रवार को ही याचिका दाखिल कर दी जाए।

आदेश : हरियाणा में मुख्यालय में बन रहेंगे सिंचाई विभाग के अधिकारी

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पेयजल संकट को गंभीरता से लेते हुए सभी सिंचाई अधिकारियों को अपने मुख्यालयों में बने रहने के निर्देश दिए हैं। जल संसाधन मंत्री रणबीर गंगवा ने कहा कि जहां भी पानी की कमी है, वहां वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति की जाए। सरकार के अनुसार, हिसार, सिरसा, महेंद्रगढ़, नारनौल और फतेहाबाद जैसे जिलों में स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है।

हरियाणा में 8500 क्यूसिक की जगह 4000 क्यूसिक आ रहा पानी

इस पूरे विवाद की जड़ यह है कि पंजाब सरकार ने पिछले 18 दिनों से भाखड़ा नहर से हरियाणा को मिलने वाले 8,500 क्यूसिक पानी को घटाकर केवल 4,000 क्यूसिक कर दिया है। पंजाब का तर्क है कि हरियाणा ने अपना निर्धारित कोटा मार्च में ही पूरा कर लिया था और अब जो पानी दिया जा रहा है, वह केवल मानवता के नाते है। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में जल्द समाधान की उम्मीद की जा रही है। अगर स्थिति नहीं सुधरी तो यह विवाद केवल दो राज्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी जल प्रबंधन और अंतरराज्यीय संबंधों के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।

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