पानी पर जंग : पंजाब ने हरियाणा का जल रोका, दोनों राज्य इन तीन बड़े मोर्चों पर फिर आमने-सामने, जानें क्या है विवाद

Punjab stopped Haryana water supply : हरियाणा और पंजाब के बीच दशकों पुराना जल विवाद एक बार फिर उफान पर है। पंजाब सरकार ने हरियाणा का पानी रोकने का एलान कर दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने साफ शब्दों में कहा है कि अब हरियाणा को एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा, लेकिन ये सिर्फ पानी का मुद्दा नहीं है—दोनों राज्यों के बीच किसान आंदोलन, SYL नहर और चंडीगढ़ जैसे मुद्दों को लेकर भी बार-बार तलवारें खिंच चुकी हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा हरियाणा अपने हिस्से का पानी पहले ही इस्तेमाल कर चुका
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो जारी कर कहा कि हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी पहले ही इस्तेमाल कर लिया है और अब पंजाब के पास देने के लिए कुछ नहीं बचा। हरियाणा को अब एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा, हमारे पास खुद के लिए पानी की कमी है। यह बयान हरियाणा में हलचल मचा गया। पानी की सप्लाई रोके जाने का सीधा असर किसानों और शहरों की प्यास बुझाने पर पड़ेगा।
तीन बड़े मोर्चे पर विवाद
- किसान आंदोलन: जब करनाल बना रणभूमि : 12021 में किसान आंदोलन के दौरान पंजाब और हरियाणा सरकारों के बीच खुलकर तकरार हुई। करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज के बाद पंजाब के तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से इस्तीफा मांग लिया था। तब खट्टर का जवाब तीखा था कि कैप्टन कौन होते हैं इस्तीफा मांगने वाले। इस घटना ने साफ कर दिया कि दोनों सरकारें किसान मुद्दे पर एकमत नहीं थीं। आंदोलन ने हरियाणा की सड़कों को महीनों जाम रखा और उद्योग-व्यापार को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
- SYL नहर विवाद- 47 साल से अटका समाधान ः 1976 में SYL (सतलुज-यमुना लिंक) नहर के निर्माण पर सहमति बनी थी। पंजाब ने हरियाणा से 1 करोड़ रुपये लेकर निर्माण की मंजूरी भी दी थी। लेकिन आज तक नहर पूरी नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2023 को हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया और पंजाब को पानी देने का आदेश दिया। बावजूद इसके, स्थिति जस की तस बनी हुई है। हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम जिलों में किसान पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मियों में टैंकरों पर निर्भरता बढ़ जाती है और जल संकट विकराल रूप ले लेता है।
- एक राजधानी, दो दावेदार : 1966 में जब पंजाब और हरियाणा अलग हुए, तब से चंडीगढ़ को लेकर विवाद चला आ रहा है। पंजाब विधानसभा ने 1 अप्रैल 2022 को चंडीगढ़ को पंजाब का हिस्सा मानने का प्रस्ताव पारित किया। जवाब में हरियाणा ने भी 5 अप्रैल को अपने हक का प्रस्ताव विधानसभा में पास किया। चंडीगढ़ में हरियाणा के भी कई बड़े सरकारी दफ्तर हैं, लेकिन अपनी अलग राजधानी और हाईकोर्ट न होना हरियाणा के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है।
किसान आंदोलन का असर : हरियाणा को हुआ नुकसान
- महीनों तक बॉर्डर जाम रहे।
- उद्योगों को सप्लाई चेन में भारी नुकसान।
- आम जनता को ट्रैफिक और रोजमर्रा की दिक्कतें।
- दिल्ली के साथ व्यापार बुरी तरह प्रभावित।
SYL नहर न बनने का नुकसान
- दक्षिण हरियाणा के लाखों किसान सिंचाई के पानी को तरसते हैं।
- गर्मियों में कई शहरों में टैंकरों से पानी सप्लाई करनी पड़ती है।
- किसान मानसून पर निर्भर होते जा रहे हैं।
चंडीगढ़ विवाद
- हरियाणा की खुद की राजधानी और हाईकोर्ट नहीं है।
- चंडीगढ़ में केंद्रीय कैडर के अधिकारी अब अधिक नियुक्त हो रहे हैं।
- इससे हरियाणा के अधिकारियों की हिस्सेदारी कम हो रही है।
हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाई
पंजाब का ताजा कदम विवाद को और बढ़ा सकता है। हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाई है और जल्द ही केंद्र को पत्र लिखने की तैयारी है, जिससे कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल सके।