जल बंटवारे पर फैसला सुरक्षित : हरियाणा-पंजाब विवाद पर High Court का बड़ा फैसला आज, बहस पूरी

हरियाणा और पंजाब के बीच गहराता पानी का विवाद मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में लगातार दूसरे दिन गरमागरम बहस का केंद्र बना रहा। लगभग 45 मिनट तक चली तीखी कानूनी तकरार के बाद, हाईकोर्ट ने इस संवेदनशील मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस शीलू नागू ने मामले की तात्कालिकता को देखते हुए कहा कि अदालत आज ही इस पर अपना महत्वपूर्ण निर्णय सुनाएगी, जिससे दोनों राज्यों की निगाहें अब इस फैसले पर टिक गई हैं।
सुनवाई के दौरान, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के वकील ने अदालत के समक्ष एक गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस का भाखड़ा डैम के संचालन में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह बोर्ड के कामकाज को बाधित कर रहा है। वकील ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए यह भी दावा किया कि आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ता भी अब डैम पर तैनात हो गए हैं, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। BBMB के वकील ने स्पष्ट किया कि पानी की मांग केवल हरियाणा के लिए नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक मुद्दा है जिससे कई राज्य जुड़े हुए हैं।
पंजाब के वकील ने हाईकोर्ट में पक्ष रखकर हरियाणा पर पलटवार किया
दूसरी ओर, पंजाब के वकील ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए हरियाणा पर पलटवार किया। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा अपने आवंटित कोटे से कहीं अधिक पानी का उपयोग कर रहा है। पंजाब के वकील ने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा मार्च महीने तक अपने पूरे कोटे का पानी ले चुका है और BBMB ने इस संबंध में अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया है। इससे पहले, सोमवार को हुई पिछली सुनवाई में, हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, पंजाब सरकार और BBMB को नोटिस जारी कर उनसे विस्तृत जवाब मांगा था। अदालत ने सभी पक्षों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया था, जिसके बाद आज यह महत्वपूर्ण सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट में याचिकाओं की बाढ़
पंजाब-हरियाणा जल विवाद को लेकर हाईकोर्ट में अब तक कुल तीन याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाती हैं। पहली दो याचिकाएं शनिवार को दायर की गईं थीं। इनमें से पहली याचिका एडवोकेट रविंद्र ढुल ने व्यक्तिगत तौर पर दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका फतेहाबाद ग्राम पंचायत की ओर से दाखिल की गई थी। इन दोनों याचिकाओं में मुख्य रूप से यह मांग की गई है कि पंजाब पुलिस को तुरंत भाखड़ा डैम से अपने सुरक्षाकर्मियों को हटाने का निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही, याचिकाओं में हरियाणा को पानी की निर्बाध निकासी सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया गया है, ताकि स्थानीय लोगों को पीने और सिंचाई के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी जारी करने का आदेश देने की भी गुहार लगाई है, जो BBMB की हाल ही में हुई बैठक में तय किया गया था। याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि भाखड़ा डैम से आने वाला पानी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली जैसे कई उत्तरी राज्यों के लिए जीवन रेखा के समान है।
वहीं, इस घटनाक्रम के दो दिन बाद, सोमवार को BBMB ने भी हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दायर की। इस याचिका में बोर्ड ने पंजाब पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने डैम पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। BBMB ने अदालत को बताया कि पुलिस के जवानों ने डैम की सभी महत्वपूर्ण कंट्रोल यूनिट्स को अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिससे बोर्ड के सामान्य कामकाज में बाधा आ रही है।
सियासी घमासान और आरोप-प्रत्यारोप
पानी के इस गंभीर विवाद को लेकर पंजाब की विधानसभा में एक विशेष सत्र भी आयोजित किया गया। इस सत्र में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि वर्तमान में हरियाणा को जो पानी दिया जा रहा है, वह भविष्य में मिलना भी बंद हो जाएगा। वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान के उस आरोप का कड़ा जवाब दिया, जिसमें मान ने कहा था कि हरियाणा का पानी बंद होने से वह पाकिस्तान चला जाएगा। सीएम नायब सैनी ने कहा कि पाकिस्तान में एक बूंद पानी भी नहीं जा रहा है। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में इस मुद्दे पर कुल छह प्रस्ताव पारित किए गए, जिससे यह विवाद और भी जटिल हो गया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पानी को रोकने के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पंजाब विधानसभा में पीने के पानी को रोकने के प्रस्ताव को असंवैधानिक और भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि हरियाणा का मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने पंजाब सरकार से पुरजोर अनुरोध किया कि वह हरियाणा के पीने के पानी को बिना किसी शर्त के तुरंत जारी करे। सीएम नायब सैनी ने यह भी स्पष्ट किया कि BBMB एक संसदीय अधिनियम के तहत गठित निकाय है, जो सीधे केंद्र सरकार के अधीन कार्य करता है। उन्होंने पंजाब सरकार की बयानबाजी को महत्वहीन बताते हुए कहा कि वे तो कुछ भी कह सकते हैं, यहां तक कि हरियाणा, हिमाचल और पाकिस्तान को भी अपना बता सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार न तो संविधान का सम्मान करती है और न ही न्यायालय के आदेशों को मानती है।
कल क्या हुआ था
सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की याचिका पर सुनवाई हुई थी। बोर्ड ने अदालत को सूचित किया था कि पंजाब पुलिस ने डैम पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और सभी कंट्रोल यूनिट्स उनके नियंत्रण में हैं। इसके साथ ही, पंजाब विधानसभा में इस जल विवाद को लेकर छह प्रस्ताव पारित किए गए थे, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इन प्रस्तावों को असंवैधानिक करार देते हुए पंजाब से बिना शर्त पानी छोड़ने की मांग की थी। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के आज आने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं, जो इस जल संकट की दिशा तय करेगा और दोनों राज्यों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
