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हरियाणा की रोहतक सीट से भाजपा व कांग्रेस भले ही उम्मीदवार उतारने पर अभी पते नहीं खोल रही हो, परंतु 2009 में प्रदेश की कमान पिता भूपेंद्र हुड्डा के हाथ में आने के बाद दीपेंद्र के तीसरी बार कांग्रेस उम्मीदवार बनने से रोहतक एक बार फिर हॉट सीट बन सकती है। इससे पहले 1989 में देवीलाल के चुनाव लड़ने से सुर्खियों में आई थी। इनेलो नफे सिंह राठी परिवार पर दांव खेल सकती है, जजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है। 

हरियाणा में हिसार, करनाल व रोहतक अक्सर प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार होती रही हैं। प्रदेश की सत्ता के केंद्र में रहे पंडित भगवत दयाल, भजन लाल व देवीलाल समय समय पर इस सीटों पर अपनी किश्मत अपनाते रहे हैं। रोहतक आजादी के बाद से न केवल भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार का गढ़ रही है, बल्कि यहां से प्रदेश की राजनीति में बदलाव के वाहक माने जाने वाले पूर्व उपप्रधान देवीलाल भी 1989 में सांसद बन चुके हैं, हालांकि उन्हें इसके बाद दो बार हार का भी सामना करना पड़ा। 1962 में जनसंघ के लहरी सिंह के बाद 2019 में भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा को दूसरी बार ही जीत मिली। 2005 में भजनलाल को पछाड़कर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी राजनीतिक वारिश दीपेंद्र को 2009 में रोहतक से चुनाव मैदान में उतारा तथा जीत का सेहरा उनके सिर बंधा। 2015 में मोदी लहर को धत्ता बता दीपेंद्र ने फिर जीत दर्ज की, परंतु 2019 की मोदी लहर में दीपेंद्र रोहतक से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे भाजपा डॉ. अरिवंद शर्मा से हार गए। पिता के हाथों में प्रदेश की कमान आने के बाद दीपेंद्र के लगातार तीन चुनाव लड़ने से रोहतक प्रदेश की हॉट सीट बनी रही। इससे पहले 1989 में देवीलाल के चुनाव मैदान में उतरने से रोहतक हॉट सीट बनी थी।

इनेलो राठी परिवार पर खेल सकती हैं दांव

कांग्रेस व भाजपा भले ही एक दूसरे के इंतजार में रोहतक से अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही हों, परंतु कांग्रेस की टिकट एक बार फिर दीपेंद्र को मिलना तय माना जा रहा है। भाजपा में डॉ. अरविंद शर्मा के अलावा बाबा बालकनाथ, अरविंद यादव और ओमप्रकाश धनखड़ सहित कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं, परंतु भाजपा 2019 की कहानी फिर से दोहराने का प्रयास करेंगी। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो ने राठी परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतारने के लिए अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं का मन टटोलना शुरू कर दिया है, ताकि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की हत्या से सहानुभूति का लाभ उठाया जा सके। ऐसे स्थिति में भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद जजपा नफे सिंह राठी परिवार का साथ देगी या फिर अपना चेहरा मैदान में उतारेगी इस पर सभी की निगाह टिकी रहेंगी।

वेट एंड वाच की स्थिति में भाजपा कांग्रेस 

रोहतक लोकसभा सीट पर अभी तक भले ही कांग्रेस व भाजपा सहित सभी पार्टियां वेट एंड वाच की स्थिति में हो, परंतु रोहतक सीट से चुनाव मैदान में उतरने वाले चेहरों का हर किसी को इंतजार है। भाजपा रोहतक, सोनीपत, हिसार व कुरूक्षेत्र को छोड़कर प्रदेश की बाकी सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। आम आदमी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही कांग्रेस को 9 व आप को एक सीट मिली है। आप ने कुरूक्षेत्र से डॉ. सुशील गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है तथा कांग्रेस ने एक भी सीट पर उम्मीदवार तय नहीं किया है। इसकी मुख्य वजह कुरूक्षेत्र के साथ रोहतक, हिसार व सोनीपत सीट पर उम्मीदवार तय नहीं करना ही माना जा रहा है।

यह मानी जा रही मुख्य वजह

रोहतक कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है तथा रोहतक सीट पर जीत हार से ही प्रदेश में राजनीति की दिशा व दशा तय होगी। भाजपा रोहतक में हारी तो प्रदेश में मनोहर लाल को बदलकर नायब सैनी को चेहरा बना चुकी भाजपा का तीसरी बार प्रदेश की सत्ता में आने का सपना धुंधला पड़ जाएगा। कांग्रेस हारी तो न केवल 2024 के चुनाव में 10 साल बाद उसका प्रदेश की सत्ता में वापसी का सपना टूटेगा, बल्कि प्रदेश कांग्रेस के मुख्य चेहरा बने हुड्डा परिवार विशेषकर दीपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक कैरियर पर भी सवालिया निशान लग जाएगा। जिससे रोहतक को लेकर राजनीतिक दल विशेषकर भाजपा व कांग्रेस रिस्क लेने से बच रहीं है। कांग्रेस खेमे में 2015 व 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत लगाने के बाद भी वोट शेयर में आई करीब 17 प्रतिशत गिरावट सबसे बड़ी चिंता मानी जा रही है।

कब किसे मिली जीत

पंजाब राज्य में आने वाली रोहतक लोकसभा सीट के लिए 1952 में हुए पहले और 1957 के दूसर लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट रणबीर सिंह हुडा लोकसभा पहुंचे थे। जबकि 1962 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ से लहरी सिंह ने जीत दर्ज की, तो 1967 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चौधरी रणधीर सिंह, 1971 में भारतीय जनसंघ मुख्तियार सिंह मलिक, 1977 में जनता पार्टी से शेर सिंह, 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के इंद्रवेश स्वामी, 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1987 में लोकदल के टिकट से लगातार दो बार हरद्वारी लाल, 1989 में जनता दल से चौधरी देवीलाल, 1991, 1996 और 1998 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से भूपेन्द्र सिंह हुडडा, 1999 में इनेलो से इंदर सिंह, 2004 में कांग्रेस से भूपेन्द्र सिंह हुडडा, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुडा तथा 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर अरविंद शर्मा ने लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की।

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