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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।

Bhupendra Singh Hooda: पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज मंगलवार को रोहतक में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने हाई कोर्ट का कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए भूमि सुधार कानून को मान्यता देने पर आभार व्यक्त किया।

लोकसभा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं- हुड्डा

लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, वे चाहे तो लोकसभा चुनाव लड़ें। मेरा कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि आगे विधानसभा चुनाव भी आने वाले हैं। दीपेंद्र रोहतक से चुनाव लड़ेगा। इसके अलावा जल्द पार्टी प्रदेश में लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित करेगी।

चेहरे बदलने से कुछ नहीं होगा- हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस दौरान बीजेपी पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चेहरे बदलने से कुछ नहीं होगा, प्रदेश की जनता सरकार ही बदल देगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पहले अपने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला और अब लोकसभा के पांच सांसदों का चेहरा बदल डाला। बीजेपी सिर्फ चेहरे बदलने में लगी हुई है, जबकि कांग्रेस और हरियाणा की जनता सरकार बदलने के मिशन पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है।

कांग्रेस सरकार ने लागू किया था भूमि अधिनियम 2010

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बरसों पहले हरियाणा के अलग-अलग गांवों में अन्य स्थान से आकर कई वर्ग बस गए थे। उन वर्गों को पंचायतों और अन्य किसी ने जमीन दान में दी थी। इन वर्गों को दोहलीदार, बूटीमार, भोंडेमार और मुकरारीदार कहा जाता है। इनमें ब्राह्मण, पुरोहित, पुजारी, जांगड़ा ब्राह्मण, नाई, प्रजापत, लोहार, वाल्मीकि, धानक, गोस्वामी, स्वामी, बड़बुजा, धोबी, तेली अन्य कारीगर आदि वर्गों के लोग शामिल थे। बरसों से उस जमीन पर रहने, बसने व खेती करने के बावजूद इन वर्गों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया था। इसलिए, ना वो इस जमीन को आगे बेच सकते थे और ना ही किसी तरह का लोन ले सकते थे। इन तमाम वर्गों को मालिकाना हक दिलवाने के लिए कांग्रेस सरकार ने भूमि अधिनियम 2010 लागू किया था।

लेकिन, 2018 में बीजेपी सरकार ने उस कानून को निरस्त कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे को बार-बार विधानसभा में उठाया, लेकिन बहुमत के जोर पर बीजेपी ने 2010 के कानून में संशोधन करके लाभार्थियों से जमीन वापिस लेने का कानून पास कर दिया। बीजेपी ने लाभार्थियों से जमीन खाली करवाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। इसके बाद ये पूरा मामला कोर्ट पहुंच गया। अब न्यायालय ने ना सिर्फ कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून को वैधानिक करार दिया, बल्कि इसकी प्रशंसा भी की।

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