Jind: बीएसएफ जवान सत्यवान खटकड़ पंचतत्व में विलीन, मोहनगढ़ छापड़ा में किया सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

Satyavan Khatkar file photo. Tehsildar Nikhil Singla paying tribute to Satyavan Khatkar
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सत्यवान खटकड़ फाइल फोटो। सत्यवान खटकड़ को श्रद्धांजलि देते हुए तहसीलदार निखिल सिंगला।
बीएसएफ जवान सत्यवान खटकड़ की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। शहीद का गांव मोहनगढ़ छापड़ा में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सभी ने नम आंखों से शहीद को विदाई दी।

उचाना/जींद: गांव मोहनगढ़ छापड़ा के बीएसएफ जवान सत्यवान खटकड़ की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। सोमवार को सत्यवान खटकड़ का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, जहां देशभक्ति नारों के साथ हरियाणा पुलिस, भारतीय सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान तहसीलदार निखिल सिंगला, डीएसपी अमित भाटिया के साथ-साथ क्षेत्र भर से लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। सत्यवान के पिता रिटायर्ड सूबेदार रामपाल सिंह ने शहीद का तिरंगा लिया। हाल में सत्यवान खटकड़ की ड्यूटी सीमा सुरक्षा बल रूपनगर कूचबिहार पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर थी। सभी नम आंखों के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी।

हर रोज घर पर फोन करता था सत्यवान

शहीद के पिता रामपाल सिंह ने बताया कि ड्यूटी से आने के बाद हर रोज सत्यवान घर पर फोन करता था। जिस दिन सत्यवान की ड्यूटी पर मौत होने की सूचना मिली तो उस दिन भी सुबह घर पर बात हुई थी। सत्यवान के घर जब उसका पार्थिव शरीर पहुंचा तो परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। परिजनों को यकीन नहीं हो रहा कि सत्यवान उनके बीच नहीं रहा। हर किसी की आंखे परिजनों को देख कर नम हो रही थी। आंखों में आंसू रूक नहीं रहे थे। ग्रामीण सत्यवान खटकड़ के मिलनसार स्वभाव की चर्चा आपस में कर रहे थे। पिता रामपाल सूबेदार रिटायर होने के चलते फौज में देश की सेवा करने का जज्बा और जुनून सत्यवान के अंदर बचपन से ही था।

28 साल पहले हुए थे बीएसएफ में भर्ती

48 वर्षीय सत्यवान खटकड़ 1995 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। फिलहाल वह योगा इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्य कर रहे थे और ड्यूटी के दौरान हृदय गति रूकने से उनका निधन हो गया। सत्यवान खटकड़ की ड्यूटी के दौरान मौत होने की खबर से पूरे गांव में मातम पसर गया। सोमवार को खटकड़ टोल पर उनका पार्थिव शरीर पहुंचा। यहां से देश भक्ति नारों के साथ बाइकों के काफिले के साथ उनके पार्थिव शरीर को गांव में लाया गया। यहां सेना ने अंतिम सलामी दी, इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया। सत्यवान खटकड़ अपने पीछे पत्नी कांता देवी और दो बेटियों के अलावा एक बेटा छोड़ गए।

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