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एसएमए टाइप-वन में रोग का आरंभ बच्चे के जीवन के आरंभिक छह महीने के अंदर दिखने लगता है। एसएमए टाइप-वन से पीडित बच्चे सहारे के बिना बैठ नहीं पाते है और आमतौर पर दो वर्ष का होने से पहले उनकी मृत्यु हो जाती है।

Narnol, Satish Sani:  पांच मई 2022 को जन्मा अर्जुन जन्म के समय बिल्कुल स्वस्थ था। छह माह उम्र में अचानक पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव हो गया। परिजन उपचार के लिए छह माह इधर-उधर अस्पतालों में भटकते रहे। किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बीमारी बताई। आराम नहीं मिला तो हैदराबाद से टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद जयपुर में जेके लोन अस्पताल के डॉ. प्रियांशु माथुर ने अर्जुन को एसएमए टाइप-1 बीमारी (स्पाइनल मरकूलर स्ट्रोफी) घोषित कर दी। जिसके उपचार का पता चलने के बाद परिवार के पैरों तले से जमीन खिसक गई। जांच पड़ताल में पता चला कि जोलजेस्मा का इंजेक्शन से ही अर्जुन ठीक हो सकता है। कारण, यह दवा भारत में नहीं, बल्कि नीदरलैण्ड में बनती है और भारत में एक इंजेक्शन की कीमत 17.50 करोड़ रुपये है।

नांगल चौधरी में एसएस हॉस्पिटल में जॉब कर रहे रिटायर टीचर रामजीलाल जांगिड़ से हरिभूमि ने बातचीत की। रामजीलाल बच्चे अर्जुन के दादा है। बातचीत में रामजीलाल ने बताया कि पौत्र अर्जुन फिलहाल राजस्थान में डाबला के पास गांव स्यालोदड़ा में रह रहा है। अर्जुन एसएमए बीमारी से ग्रस्त है। जो सबसे गंभीर रूप है। अधिकांश मुंह और गले की मांसपेशियों का नियंत्रण करने वाली तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इसलिए इसमें चबाने और निगलने से संबंधित समस्याएं अधिक होती है। रोग के सभी प्रकारों में श्वसन पेशियां अलग-अलग स्तर तक शामिल रहती हैं।

एसएमए टाइप-वन में रोग का आरंभ बच्चे के जीवन के आरंभिक छह महीने के अंदर दिखने लगता है। एसएमए टाइप-वन से पीडित बच्चे सहारे के बिना बैठ नहीं पाते है और आमतौर पर दो वर्ष का होने से पहले उनकी मृत्यु हो जाती है। इसका इलाज सिर्फ जोलजेस्मा इंजेक्शन ही है जसकी कीमत 17.50 करोड़ है। अर्जुन अभी 19 माह का है और यह इंजेक्शन दो साल तक ही लगता है। हमारे पास इंतजार के सिर्फ दो-तीन महीने ही है।

परिजन चिंतित, इलाज के कहां से लाए इतनी रकम
दादा रामजीलाल ने हरिभूमि को बताया कि वह खुद रिटायर्ड टीचर है और इन दिनों नांगल चौधरी में एसएस हॉस्पिटल में पार्ट टाइम काम कर रहा है। इकलौता बेटा चिराग सिटी स्कैन मशीन ठीक करने वाली निजी कंपनी में कार्यरत है। परिवार की हालत भी इतनी नहीं है कि इतनी मोटी रकम वहन कर सके। उन्होंने बताया कि इस दौरान एक एनजीओ इम्पेक्ट गुरू आगे आई है और लोगों को सोशल मीडिया या अन्य संसाधनों के माध्यम से अर्जुन से जुड़ी हर चिकित्सक रिपोर्ट व डिटेल सांझा कर पैसा एकत्रित कर रही है। यहीं नहीं, वह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मिले थे। पीएमओ को भी फाइल भिजवा चुके है।

यह है जोलजेस्मा इंजेक्शन
दुनिया की सबसे महंगी दवा जोलजेस्मा का इंजेक्शन है। चिकित्सक श्रेणी में इसे एक प्रकार की जीन थेरेपी बताते है जिसका उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (एसएमए) से पीडि़त बच्चों के इलाज के लिए किया जाता है। यह बीमारी बच्चों के मांसपेशियों को कमजोर करती है और अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह घातक हो सकती है। जोलजेस्मा इंजेक्शन का उपयोग करके एसएमए का इलाज करने के लिए, बच्चे को एक बार इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन बच्चे के शरीर में एक नए जीन को डालता है जो एसएमए के कारण होने वाले नुकसान को ठीक कर सकता है। जोलजेस्मा इंजेक्शन अभी भी भारत में स्वीकृत नहीं है, लेकिन डॉक्टर की सलाह और सरकार की मंजूरी के बाद इसे आयात किया जा सकता है।

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