नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाला: सीबीआई ने तीन एफआईआर की दर्ज,  दिल्‍ली-नोएडा समेत कई स्‍थानों पर की छापेमारी

CBI registered fir in Sports city scam
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स्पोर्ट्स सिटी स्कैम में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर।
Noida Sports City Scam: CBI ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में हुए कथित घोटाले को लेकर तीन एफआईआर दर्ज कर ली हैं। शुक्रवार को कई जगहों पर छापेमारी की गई।

Noida Sports City Scam: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में हुए कथित घोटाला को लेकर तीन एफआईआर दर्ज कर ली है। इसके बाद सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्‍ली-नोएडा समेत कई स्‍थानों पर छापेमारी की। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई के अफसरों ने नोएडा में दो बिल्डर ग्रुप के निदेशकों से पूछताछ भी की है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने नामजद निदेशकों को करीब डेढ़-डेढ़ घंटे तक पूछताछ की, जिसमें वे उलझते नजर आए। माना जा रहा है कि सीबीआई एफआईआर में नामजद और बचे बिल्डरों से भी पूछताछ कर सकती है। सीबाआई नोएडा प्राधिकरण में जाकर फाइलें भी खंगाल सकती है।

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इन बिल्डरों पर एफआईआर दर्ज

सीबीआई ने तीन बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें जनाडु एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, लॉजिक्स इंफ्रा डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। ये तीनों स्पोर्ट्स सिटी में प्लॉट लेने वाले लीड मेंबर थे। जनाडु एस्टेट के साथ बिल्डर निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह व प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों और अन्य को शामिल किया गया है। लोटस ग्रीन्स के खिलाफ एफआईआर में भी बिल्डर व निदेशक निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह व प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों व अन्य नामजद है। तीसरी एफआईआर में लॉजिक्स इन्फ्रा डिवेलपर्स के खिलाफ हुई है। इसमें निदेशक शक्ति नाथ, मीरा नाथ, विक्रम नाथ प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों व अन्य नामजद हैं।

नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाला क्या है?

साल 2011 से 2014 के बीच नोएडा स्‍पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्‍ट के तहत नोएडा में सेक्टर 78, 79 और 150 में विश्वस्तरीय खेल सुविधाओं के साथ आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र विकसित करने के लिए स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। आरोप है कि आवंटन के बाद कई शर्तों का उल्लंघन किया गया और नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट में गड़बड़ियां हुईं। आरोप है कि कुछ बिल्डरों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। ऐसा अनुमान है कि इससे सरकार को करीब 9,000 करोड़ का नुकसान हुआ। कैग (CAG) रिपोर्ट में भी अनियमितताओं का खुलासा हुआ था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की है।

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