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दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग में करोड़ों रुपये की धांधली का आरोप लगा। बीजेपी नेता ने कहा कि महापौर और पार्षद स्कूल प्रिंसिपलों पर फर्जी बिल बनाने का दबाव बना रहे हैं।

MCD Education Department Fraud: दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने शनिवार को आप सरकार पर नए आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी (AAP) की सत्ता के 15 माह में हर कुछ दिन बाद नई धांधली अथवा पार्षदों के लूट खसोट के किस्से साधारण हो गए हैं। उन्होंने कहा कि निगम का शिक्षा विभाग लगातार धांधली के किस्सों के चलते खबरों में रहता है, ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी, स्कूल ड्रेस, स्टेशनरी एवं किताबों के वितरण एवं बायस फंड जैसे हर मुद्दे में गड़बड़ी की शिकायतें आती रही हैं और यह क्रम जारी है।

प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि अब इसी क्रम में शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को दिए जाने वाले वार्षिक रखरखाव फंड में किए जा रहे घोटाले का मामला सामने आया, जिससे निगम को जानने वाले स्तब्ध हैं। दिल्ली नगर निगम के अपने 1534 स्कूलों को हर वर्ष स्कूल के साइज अनुसार रखरखाव फंड देता है। एक से 10 क्लास रूम वाले स्कूल को 1 लाख रुपये तो 10 से 30 क्लास रूम वाले स्कूल को 1.5 लाख रुपये और 20 से अधिक क्लास रूम के स्कूल को 2 लाख रुपये दिए जाते हैं।

महापौर और शिक्षा निदेशक दोनों की भूमिका संदिग्ध

प्रवक्ता कपूर ने कहा कि शनिवार 30 मार्च को दिन भर निगम स्कूलों में प्रिंसिपल और शिक्षक इसी चिंता में बैठे रहे क्योंकि एक ओर महापौर एवं शिक्षा निदेशक कार्यालय का भुगतान दबाव है तो दूसरी ओर उन्हें सम्भावित सतर्कता विभाग जांच का भी डर है। महापौर एवं शिक्षा निदेशक दोनों की भूमिका इस लिए भी संदिग्ध है कि आखिर उन्होंने मात्र 2 से 4 दिन में खर्च के लिए इतना बड़ा आवंटन क्यों होने दिया। कपूर ने कहा है कि यह अपने आप एक अभूतपूर्व घोटाला है और दिल्ली की जनता इस स्कूल रखरखाव फंड घोटाले पर दिल्ली की महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय से जवाब के साथ ही इसकी सतर्कता जांच चाहती है।

रखरखाव फंड का पैसा 31 मार्च तक करना होता है खर्च

प्रवक्ता कपूर ने कहा है कि नियमानुसार यह रखरखाव फंड वित्त वर्ष के प्रथम माह में दिया जाना चाहिए, ताकि गर्मियों की छुट्टियों में रखरखाव हो सके, लेकिन निगम में पैसे के अभाव के चलते अक्सर इसमें देर सवेर होती रहने के चलते पैसा स्कूलों तक सितम्बर अक्टूबर में आता था। प्रशासनिक नियम अनुसार, स्कूल को इस रखरखाव फंड का पैसा 31 मार्च तक खर्च करना होता है अन्यथा यह जब्त हो जाता है। कुछ वर्षों में रखरखाव फंड स्कूलों में आया भी नहीं।

रखरखाव फंड का पैसा लगभग 25 करोड़ रुपये है

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण ने कहा है कि वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में इस रखरखाव मद में भारी धांधली का मामला सामने आया है, जिसमें दिल्ली नगर निगम की महापौर, सत्ताधारी पार्षदों के साथ ही निगम के शिक्षा निदेशक की भूमिका संदेह के घेरे में है। कपूर ने कहा है कि 1534 स्कूलों के लिए जाने वाला यह रखरखाव फंड का पैसा लगभग 25 करोड़ रुपये बैठता है और इस वर्ष स्कूलों को 27 मार्च से 30 मार्च, 2024 के बीच दिया गया है और अब महापौर एवं शिक्षा निदेशक कार्यालय स्कूल प्रिंसिपलों पर दबाव डाल रहे हैं कि रखरखाव के ठेके एवं भुगतान और काम पूर्ण होने का सर्टिफिकेट सत्ताधारी पार्षदों के मर्जी के ठेकेदारों को रविवार, 31 मार्च तक कर दें। जो काम करना होगा वह बाद में कर देंगे।

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