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किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। यह घोषणा उस समय हुई है, जब किसान संगठन दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे हैं। पढ़िये बीजेपी के विरोधी क्यों परेशान हैं।

Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। यह घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। इस घोषणा के बाद विशेषकर किसान संगठनों ने केंद्र के फैसले की सराहना की है। हालांकि कई नेता ऐसे भी हैं, जो टाइमिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं। यही नहीं, चौधरी चरण सिंह के पोते यानी जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने पर भी तंज और हमला बोल रहे हैं। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह है। इससे पहले बताते हैं कि किसान नेताओं ने चौधरी चरण सिंह के भारत रत्न पर क्या प्रतिक्रियाएं दी हैं।

किसान नेताओं ने फैसले को सराहा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले का स्वागत किया। कहा कि उनकी वजह से ही किसानों की दशा में सुधार आया। लेकिन, आज भी किसान कई समस्याओं से घिरे हैं। किसानों को फसलों का दाम मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक लोग नहीं हैं, लेकिन चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं को दूर किया जाए। भाकियू अराजनीतिक संगठन के नेता धर्मेंद्र भारत सरकार ने भी चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चौधरी साहब इसके असली हकदार थे। उन्होंने इस फैसले के लिए पीएम मोदी का आभार जताया। अन्य किसान नेताओं की भी इसी तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

चौधरी साहब के सम्मान से बीजेपी के विरोधी असहज क्यों 

किसानों ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी से दिल्ली कूच का आह्वान कर रखा है। इसके अलावा, 16 फरवरी को भी भारत बंद का आह्वान किया गया है। ऐसे में कई नेताओं को लग रहा है कि चौधरी साहब को भारत रत्न दिए जाने से किसान आंदोलन कमजोर पड़ सकता है। दूसरी अहम वजह ये है कि लोकसभा चुनाव में कुछ सप्ताह का समय ही शेष बचा है। विशेषकर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाट वोटर्स की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में बीजेपी भी जानती है कि अगर दोबारा से किसान आंदोलन होता है तो नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि किसान नेताओं को मनाने के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों को चंडीगढ़ भेजा गया। आज खबर सामने आई कि चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। ऐसे में बीजेपी के विरोधियों का उबलना लाजमी है।

चंडीगढ़ मीटिंग में क्या हुआ फैसला

चुनावी साल के कुछ हफ्ते पहले ही किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के चलते केंद्र सरकार खासी सतर्क है। सरकार नहीं चाहती है कि चुनावी साल में किसान आंदोलन की पुनरावृत्ति हो। इसके मद्देनजर तीन केंद्रीय मंत्रियों ने चंडीगढ़ में किसान नेताओं से बातचीत की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नित्यानंद राय और अर्जुन मुंडा ने सकारात्मक माहौल में उनकी मांगों को सुना, लेकिन किसान नेताओं को दिल्ली कूच टालने के लिए तैयार नहीं कर सके। हालांकि यह फैसला जरूर हुआ कि 13 फरवरी से पहले दोबारा से बैठक होगी, जिसमें सभी समस्याओं के समाधान का फॉर्मूला लेकर आएंगे।

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