Lakes in Delhi: इस गर्मी लेना चाहते हैं झील का मजा, तो मिस न करें दिल्ली का ये स्पॉट, दिल को मिलेगा सुकून

Beautiful Lakes in Delhi-NCR: बहुत से लोग गर्मियों के मौसम में झीलें देखना पसंद करते हैं। अगर आप भी इस गर्मी झील देखना चाहते हैं, तो हम आपको नीली झील के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां जाकर आपको दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल का सुकून मिल सकता है। इस झील में शीशे की तरह साफ पानी है और झील की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी।
दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग कम पैसे और कम दूरी तय करके यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। बता दें कि दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर एक झील है, जिसका कुछ हिस्सा दिल्ली के तुगलकाबाद में है, तो कुछ हिस्सा फरीदाबाद में। दिल्ली में स्थित झील को नीली झील कहा जाता है और हरियाणा में स्थित हिस्से को भारद्वाज लेक के नाम से जाना जाता है।
कैसे बनी झीलें
असोला भट्टी वन्य जीव अभ्यारण्य में मौजूद इन दोनों झीलों को 'डेथ वैली' भी कहा जाता है। कहा जाता है कि एक समय पर यहां पर अवैध माइनिंग की जाती थी। यहां पर बलुआ पत्थर, चूना और बदरपुर की खुदाई होती रही। एक समय बाद खनन इतनी गहराई तक हो गया कि ग्राउंड वॉटर लेवल तक पहुंच गए। इन गड्ढों में ग्राउंड लेवल वॉटर भर गया था। लोग अपना-अपना सामान यानी मशीनरी चीजें आदि छोड़कर जान बचाने के लिए भाग गए थे। इसमें काफी पानी भर गया और बारिश होने के बाद ये झील बन गई, जिसमें नीला पानी भर गया। इससे कोरल लेक, CITM लेक 2, डॉल्फिन लेक और लेक भरद्वाज जैसी कई झीलें बन गईं।
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नीली झील, दिल्ली
बता दें कि प्राकृतिक सुंदरता और सुकून की तलाश करने वालों के लिए असोला भट्टी वन्य जीव अभ्यारण्य में मौजूद नीली झील लगभग 32 किलोमीटर में फैली है। ये नीली झील दिल्ली के पर्यावरण को बेहतर बनाने और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के साथ ही ईको फ्रेंडली टूरिज्म स्थल विकसित करने के लिए जनता को सौंपा गया था। इस जगह पर मौजूद सभी सुविधाओं के लिए इको फ्रेंडली सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। ये झील दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर स्थित है।
भारद्वाज लेक, हरियाणा
भारद्वाज लेक हरियाणा के फरीदाबाद के पास दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर स्थित है। ये जगह अरावली पहाड़ियों की चट्टानों, कंकड़ और बजरी से घिरी हुई है। ये झील साइकिल और ट्रेकर्स के बीच लोकप्रिय है। यहां पर कई प्रकार के वन्यजीव देखने को मिलते हैं, जिसमें पक्षी, कीट, खरगोश, हिरण और नीलगाय समेत तमाम जानवर रहते हैं। झील तक पहुंचने के लिए छोटी-छोटी सड़कें हैं। बता दें कि भारद्वाज लेक का नाम ऋषि भारद्वाज के नाम पर नहीं बल्कि खदान के कॉन्ट्रैक्टर के नाम पर इस झील का नाम पड़ा था।
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