Unnao Rape: कुलदीप सिंह सेंगर को किस आधार पर मिली जमानत? पढ़िये दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

Kuldeep Singh Sengar
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बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर। 

उन्नाव रेप केस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया। इसके बाद पीड़िता इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई है। जानिये हाईकोर्ट ने किस आधार पर कुलदीप सेंगर की सजा को निलंबित किया?

दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव रेप केस मामले में बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया। इस फैसले से असंतुष्ट पीड़िता दिल्ली के इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई, जिसके बाद सियासी बवाल मच गया है। विपक्ष तरह-तरह के आरोप लगा रहा है। बहरहाल, कुलदीप सिंह सेंगर को किस आधार पर जमानत मिली, इसके लिए हाईकोर्ट के 53 पन्नों के आदेश को देखना चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुलदीप सिंह सेंगर को सिर्फ एक वजह से जमानत मिली है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि उसके खिलाफ पॉस्को के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट हमले का अपराध नहीं बनाया गया था। पॉस्को एक्ट की धारा 5 में बताया गया कि अगर किसी बच्चे के साथ पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट एक गंभीर पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट माना जाता है।

अगर किसी सरकारी कर्मचारी, किसी पुलिस अधिकारी, आर्म्ड फोर्सज या सिक्योरिटी फोर्सेज के सदस्य, साथ ही हॉस्पिटल या जेल स्टाफ द्वारा पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट किया जाता है, तो इसे गंभीर माना जाता है, जिसके लिए न्यूनतम 20 साल की सजा होती है और उम्रकैद तक बढ़ सकती है। ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को इस अपराध के लिए आजीवन कारवास की सुनाई थी कि वह सरकारी कर्मचारी की परिभाषा के दायरे में आता था।

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन की बेंच ने कहा कि पॉस्को एकट की धारा 5 (C) या आईपीसी की धारा 376(2)(b) के तहत पब्लिक सर्वेंट के तौर पर कैटेगराइज नहीं किया जा सकता है। सेंगर पॉस्को एकट की धारा 5(p) की श्रेणी में नहीं आता। साथ ही कहा कि पास्को एक्ट की धारा 4 के तहत न्यूनतम सजा 7 साल की है, जो कि कुलदीप सिंह सेंगर पहले ही भुगत चुका है। कोर्ट ने निष्कर्ष में तीन प्वाइंट रखे।

पहले प्वाइंट में कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा 5(c) के तहत अपीलकर्ता लोक सेवक की परिभाषा में नहीं आता है। दूसरा प्वाइंट, अपीलकर्ता के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध बनता है। तीसरा प्वाइंट, अपीलकर्ता 7 साल 5 महीने की सजा काट चुका है, जो 2019 में इसके संशोधन से पहले पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत जो सजा बनती है, उससे अधिक सजा काट चुका है। ऐसे में कोर्ट उसकी सजा को निलंबित करने के लिए इच्छुक हैं।

सेंगर को राहत मिली या बढ़ेंगी मुश्किलें

दिल्ली हाईकोर्ट ने भले ही कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दी है, लेकिन अभी वो जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। दरअसल, उसके खिलाफ पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत का भी मामला चल रहा है। इस मामले में उसके खिलाफ 10 साल की सजा मिली थी। उधर, इंडिया गेट के पास धरने पर बैठी पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।

उन्नाव रेप केस की पूरी डिटेल्स

यह मामला उत्तर प्रदेश के उन्नाव से सामने आया था। पीड़िता का आरोप है कि कुलदीप सेंगर ने 11 और 20 जून 2017 की मध्य रात्रि अपहरण कर रेप किया, इसके बाद 60000 रुपये में बेच दिया। मामला उजागर हुआ तो पुलिस अधिकारियों पर भी संगीन आरोप लगे। कुलदीप सेंगर के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और क्रिमिनल इंटिमिडेशन के साथ-साथ पॉस्को एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सेंगर को गिरफ्तार किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2019 में उन्नाव रेप केस से जुड़े चार मामलों को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया। ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2019 में कुलदीप सेंगर को रेप केस में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

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