Waterlogging in Delhi: दिल्ली के मिंटो ब्रिज पर जलभराव न होना भाजपा सरकार की जीत?

minto bridge waterlogging
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दिल्ली के मिंटो ब्रिज की 2023 और 2025 की तस्वीरें। 

हर साल मानसून की बारिश में डूबने वाला मिंटो रोड पर अभी तक जलभराव नहीं देखा गया है। इसे दिल्ली की भाजपा सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है। क्या भाजपा को क्रेडिट मिलना चाहिए...

दिल्ली में मानसून की बारिश लगातार जारी है। ऐसे में राजधानी की कई सड़कों पर भारी जलभराव देखा जा रहा है। कहीं लोग सड़कों पर नाव चलाते दिख रहे हैं, तो वहीं ऐसा वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक शख्स तैराकी करते नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी इन वीडियो को लेकर भाजपा सरकार पर तंज कस रही है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि हर साल मानसून में डूबने वाली मिंटो ब्रिज की सड़क पर अभी तक ट्रैफिक सुचारू रूप से चल रहा है। ऐसे में दिल्ली की भाजपा सरकार इस वीडियो को शेयर कर अपनी पीठ थपथपा रही है। अब सवाल उठता है कि मिंटो रोड पर जलभराव न होना सीएम रेखा गुप्ता की सरकार को बड़ी उपलब्धि मान लिया जाए। इसका जवाब जानने के लिए आपको 1933 के दौर में लौटना होगा।

मिंटो ब्रिज का निर्माण 1933 में हुआ था। इसके नीचे अंडरपास बनाया गया, जिसके चारों तरफ का क्षेत्र ऊंचा है। ऐसे में बारिश होने पर यहां पानी जमा हो रहा था। यहां जलभराव रोकने के लिए सबसे पहले 20 अगस्त 1953 को राज्यसभा में इससे जुड़ा सवाल पूछा गया था। उस वक्त के निर्माण, आवास और आपूर्ति मंत्री केसी रेड्डी ने जवाब दिया था कि यहां तीन सड़कों पर उभार बनाए गए हैं। इससे सड़क का पानी मिंटो रोड की सड़क की तरफ नहीं जाएगा।

2003 तक सभी उपाय विफल

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मिंटो रोड पर जलभराव रोकने के लिए समय-समय पर प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। 1958 में दिल्ली के तात्कालीन नगर आयुक्त पीआर नायक ने मिंटो रोड पर पंपसेट लगाए थे। इसके बाद 2008 में रिपोर्ट सामने आई, जिसमें इस पुल को गिराकर नया पुल बनाने की योजना बनाई गई थी। बताया गया कि शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए मौखिक मंजूरी दे दी थी, लेकिन यह योजना कागजों से बाहर नहीं निकल सकी।

इसके बाद 2003 में मिंटो ब्रिज को चौड़ा करने का निर्णय लिया गया। दरअसल, इस पुल के नीचे सड़क की चौड़ाई दोनों तरफ की सड़क की चौड़ाई की तुलना में कम है। इस का एक हिस्सा एमसीडी और दूसरा हिस्सा एनडीएमसी के अधीन था। तो एमसीडी, एनडीएमसी के साथ ही रेलवे भी इसका खर्चा उठाने के लिए तैयार हो गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे की मांग पर 400 लाख रुपये की राशि जारी हो गई थी। एमसीडी ने अपने क्षेत्र का काम पूरा कर लिया, लेकिन एनडीएमसी और रेलवे अपने क्षेत्र का काम पूरा नहीं कर पाया।

2020 की दुर्घटना ने सबको चौंकाया

साल 2020 के मानसून की बारिश में भी मिंटो रोड पर भारी जलभराव था। एक ट्रक चालक इस जलभराव में डूब गया, जिसके बाद हड़कंप मच गया था। भविष्य में ऐसी दुर्घटना न हो, इसके लिए नए प्रोटोकॉल लागू किए गए।

इसके लिए जहां सीसीटीवी लगाकर निगरानी शुरू की, वहीं वैकल्पिक जल निकासी पाइप लाइन और ऑटोमेटिक वाटर पंप लगाए गए। यही नहीं, 2021 में मिटो ब्रिज अंडरपास पर दो नालों का भी निर्माण कराया गया। इसके बावजूद इस रोड पर जलभराव की समस्या बनी रही।

भाजपा सरकार को क्रेडिट देना जल्दबाजी?

आम आदमी पार्टी ने 2021 में भी मिंटो रोड की वीडियो शेयर कर दावा किया था कि इस मानसून की बारिश में जलभराव नहीं हुआ है। केजरीवाल सरकार ने कहा था कि उसने जलभराव रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं और भविष्य में यहां जलभराव नहीं होगा। यही नहीं, तब के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 19 जुलाई 2021 को दिल्ली जल बोर्ड और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण के अधिकारियों के साथ बैठक कर दिल्ली जल निकासी की समीक्षा बैठक की।

इसके बाद दावा किया था कि राजधानी की अन्य स्थानों पर भी मिंटो रोड जैसी जल निकासी व्यवस्था स्थापित की जाएंगी। लेकिन, 2023 में फिर से यह मिंटो रोड पूरी तरह से पानी में डूबा दिखा। यह दर्शाता है कि मिंटो रोड पर फिलहाल जलभराव नहीं हुआ है, लेकिन उसने जिस तरह से केजरीवाल सरकार को धोखा दिया है, उसी तरह भाजपा सरकार को भी धोखा दे सकता है।

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