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जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए बंदूक नहीं बल्कि बम का इस्तेमाल कर रहे हैं। बम के फटते ही जानवर की मौत हो जाती है। शिकारियों ने जंगल के जगह-जगह में बम रखे हुए हैं।

रायपुर।  इंसान अपने स्वार्थ के लिए किस तरह से घिनौनी हरकत कर सकता है, इसकी बानगी जंगल सफारी में रेस्क्यू कर लाए गए लकड़बग्घा को देखने से पता चलती है। अपने स्वार्थ के लिए जंगली सुअर को मारने के लिए फेंके गए बम की चपेट में आकर लकड़बग्घा गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे रेस्क्यू कर जंगल सफारी  लाया गया है। दरअसल शिकारी ने जंगली सुअर के मांस के लालच में बम फेंके थे, उसी को लकड़बग्घा खाने की वस्तु समझ कर चबा गया। बम चबाने की वजह से लकड़बग्घा का जबड़ा उड़ गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। सफारी प्रबंधन के मुताबिक कांकेर से वनकर्मियों की टीम गुरुवार देर शाम लकड़बग्घा को रेस्क्यू कर जंगल सफारी लेकर पहुंची। लकड़बग्घा की गंभीर स्थिति को देखते हुए जंगल सफारी के डॉक्टर डॉ. राकेश वर्मा के नेतृत्व में उपचार में जुट गए हैं।

दर्द में पूरी रात छटपटाता रहा

लकड़बग्घा की स्थिति को देखते हुए वन्यजीव चिकित्सकों ने रात में ही दर्द निवारक दवा दी है। स्थिति को देखते हुए लकड़बग्घा को एनेस्थिसिया देकर बेहोश नहीं किया जा सका। दर्द निवारक दवा देने के बाद भी लकड़बग्घा पूरी रात दर्द के मारे छटपटाता रहा। लकड़बग्घा की बेहतर देखभाल के लिए रात में ही जू कीपर के साथ डॉक्टर तैनात किए गए।

सफारी में सर्जन नहीं

गौरतलब है कि जंगल सफारी में गंभीर रूप से घायल वन्यजीवों के लिए सर्व सुविधायुक्त अस्पताल है, जहां राज्य के अलग- अलग जंगल से
रेस्क्यू किए गए वन्यजीवों को उपचार के लिए लाया जाता है। वन्यजीवों के लिए एकमात्र सर्व सुविधायुक्त वन्यजीवों के अस्पताल में एक भी सर्जन नहीं है। इसके कारण गंभीर रूप से घायल वन्यजीवों के उपचार के लिए अंजोरा स्थित कामधेनु विश्वविद्यालय से सर्जन बुलाए जाते हैं। डॉक्टर के आने में देर होने की स्थिति में या फिर अंजोरा ले जाने की स्थिति में वन्यजीव की मौत तक हो जाती है।

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