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सीईओ जिपं पर नोट शीट बदलने कर्मचारियों पर दबाव बनाने का आरोप है। अफसरों से हारे पीड़ित अभ्यर्थियों ने पूर्व मंत्री महेश गागड़ा से न्याय की गुहार लगाई ।

गणेश मिश्रा-बीजापुर। सत्ताबदल के बाद जिले में 7 साल पहले पंचायत सचिव भर्ती में हुआ घोटाला फिर सुर्खियों में है। मामला 2015 में भाजपा सरकार के कार्यकाल का है,लेकिन पीड़ित उम्मीदवारों को कांग्रेस सरकार के 5 साल के कार्यकाल में भी न्याय नहीं मिला। अब एक बार फिर पीड़ितों ने पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के सामने घोटाले से जुड़ी जांच प्रतिवेदनों के आधार पर जल्द-से-जल्द कार्रवाई कर न्याय की गुहार लगाई है।

शिकायत के बाद की गई थी जांच 
आवेदक विकास कुमार मोरला, प्रताप सिंह सेमल, सुशील दुर्गम, गोविंदा मडकम ने पूर्व मंत्री के नाम ज्ञापन में इस बात का जिक्र किया है कि, वर्ष 2015 में फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए कई अभ्यर्थियों को नियुक्ति की गई थी। मामला संज्ञान में आने के बाद जिला पंचायत बीजापुर  ने उपसंचालक पंचायत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच दल ने मामले की जांच की थी। 

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जांच में हुआ था फर्जीवाड़े का खुलासा
इसी तरह कार्यालय कलेक्टर  ने भी संयुक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच दल का गठन कर जांच की गई थी। जांच में स्पष्ट हो गया था कि, भर्ती में गड़बड़ियां  हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि, इस मामले में फर्जीवाड़ा हुआ है। नियम-निर्देशों तथा विज्ञापित पदों में आरक्षण रोस्टर को दरकिनार कर अपात्र उम्मीदवारों को नियुक्तियां दी गई थी।

सीईओ जिपं पर है संदेह 
वहीं पीड़ित पक्ष का कहना है कि, दो-दो जांच प्रतिवेदनों के आधार पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। उनका आरोप है कि, सीईओ जिपं अपात्र अभ्यार्थियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सीईओ ने जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर फिर से जांच करने की बात कही है। इस मामले में सीईओ जिपं पर भी संदेह है। 

पीड़ितों ने जल्द कार्रवाई करने की मांग की  
पीड़ित उम्मीदवारों ने पूर्व मंत्री को भाजपा के घोषणा पत्र के पृष्ठ क्रमांक 39 भर्ती संबंधित गड़बड़ियों का उल्लेख का स्मरण कराते हुए सीईओ जिपं बीजापुर को मामले से अलग करने के साथ ही अपात्र अभ्यर्थियों के खिलाफ जल्द-से-जल्द कार्रवाई करते न्याय की गुहार लगाई है। 

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