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Exclusive : कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा से हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने 'सार्थक संवाद' शो में ख़ास बातचीत । यहां देखें वीडियो-

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी रह चुकी कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा हरियाणा में सिरसा लोकसभा से चुनाव लड़ रही है। उनका मानना है कि कांग्रेस गठबंधन को इस बार सफलता मिलती दिख रही है। तीसरे चरण के बाद यह होने लग गया है कि गठबंधन को लोग महत्व दे रहे है। भाजपा और एनडीए की सरकार नहीं बनेगी। कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर लोगों में भरोसा बना है, यह इसलिए क्योंकि राहुल गांधी ने देशभर में पदयात्रा कर लोगों की समस्याओं को समझा है। देश अब नरेंद मोदी और भाजपा की बातों  और भावनात्मक मुद्दों पर नही आने वाला। हरियाणा में स्थिति इस बार उलटने वाली है। पिछली बार 10-0 था, इस बार यह 0-10 होने वाला है। भाजपा को यहा एक भी सीट नहीं मिलेगी। चुनावी संवाद में हरिभूमि-आईएनएच न्यूज के प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी के सवालों का कुमारी सैलजा ने दिया बेबाकी से जवाब। बातचीत के प्रमुख अश।

▶ आप काफी समय से सिरसा में दिखाई नहीं दीं, अचानक यहां से चुनाव मैदान में उतर गई?

▶ सिरसा हमारी पुरानी सीट रही है। यहां पर आते-जाते रहे हैं। यहां के दिग्गज पुराने लोगों से व्यक्तिगत मुलाकातें होती रही। यहां पर जो भी रहा, हमारे पिता के समय से हमारा वजूद रहा है। यहां से केवल चुनाव लड़ रही हूं। 67 से मेरे पिता यहां से सांसद रहे, उसके पहले भी रुपावन और फतेहाबाद में रहे। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत फतेहाबाद से की, यह सिरसा का हिस्सा है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे यहां के लोग याद करते रहे। वहां के लोगों ने कहा, सैलजा को यहां से लड़ाने की मांग की है। पार्टी को सही लगा तो यहां पार्टी की मजबूती के लिए मुझे भेजा गया।

▶ आप लोगों के टिकट तय करती है?

▶ तीन जगह से था, अंबाला में जहां पिछले 20 साल हमारा संपर्क रहा। हिसार मेरा गृह जिला है। यह सामान्य सीट है, फिर भी यहां से लोगों का प्यार और अपनापन होता ही है। सिरसा हमारी पुरानी सीट रही है। सिरसा में अंबाला में हमारे चार एमएलए जीते थे। जिनको टिकट दिए, उनमें से एक एमएलए थे। हाईकमान ने जो सर्वे कराया, उसमें भी जो फैसला आया, उसी के आधार पर यहां से टिकट दिया गया। हमने यहां पार्टी को बहुत मजबूत रखा था। जब वे चले गए तो पार्टी को लगा कि यहां फिर से मजबूती की जरूरत है तो वही करने में लगे हैं।

▶ अशोक तंवर ने पार्टी से निकलकर राष्ट्रीय पहचान बनाई। अपने लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ना कितना असहज लगता है?

▶ नहीं, अपने लोगों की बात नहीं है। हमने पार्टी को मजबूत करने का प्रयास किया। पहले भी मैं थी, दोबारा से पार्टी को यहां पर मजबूत भी करना है। मेरे लिए सर्वोपरि है कि पार्टी भी मजबूत रहे और हमारा एरिया भी मजबूत रहे, यह करना है। प्रत्याशी तो आते-जाते रहते हैं।

▶ आप चुनाव क्यों लड़ रही है। भाजपा-एनडीए 400 पार कर रही है, ऐसी हवा के संदर्भ में चुनाव क्यों लड़ रही है?

▶ मेरी शुरुआत यहीं से हुई है। यहां से चुनाव जीती भी हूं और हारी भी हूं। अंबाला से भी चुनाव जीता, हारी भी हूं। जब तक हम है, जमीनी तौर पर मजबूती देने का काम करते रहेंगे। लोगों के साथ हमारा संपर्क रहा है। चुनाव लड़ना और लोगों के साथ रहना, ग्रास रूट में रहना और पार्टी को मजबूत करना है। दोनों चीजें हैं कि जीतने के ही लड़ रही हूं। लोग भी मुझे जिताने में लगे हैं। 370 क्यों बोल रहे हैं. 400 सीट क्यों कह रहे है? संविधान बदलने के लिए? लोगों में कंफ्यूजन भाजपा पैदा कर रही है। 370 क्यों लाए हैं, अगर कश्मीर की बात है तो वहां चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं। राजनीति में आपका एजेंडा कुछ और है और कहीं कुछ है। जनता के बीच कुछ छिपा नहीं है। जनता इसका आकलन करती है।

▶ आप चुनाव किसके खिलाफ लड़ रही हैं, अशोक तंवर या भाजपा के खिलाफ?

▶ हम सिरसा के लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां के युवा, किसान, मजदूर, महिलाओं, गरीबों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा और उनकी विचारधारा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। एक दिन पहले योगीजी जेसीबी की रैली निकाल रहे हैं। उनमें धार्मिक झंडे लगाकर रैली निकाल रहे हैं। क्या गरीबों के घर ढहाएंगे? अमीरों के घर तो कभी नहीं ढहाए।

▶ आप किससे ज्यादा परेशान है, दीपेंदर हुड्डा से या सुनीता दुग्गल से?

▶ मैं कभी परेशान नहीं होती। जो राजनीति में परेशान होंगे, वो घर बैठ जाएंगे। अपने प्रभाव के लिए सबको जद्दोजहद करनी पड़ती है। कोई मुझसे परेशान होता है तो अपनी परेशानी डील करे। सुनीताजी की अपनी परेशानी है। महिलाएं पहले विक्टिम हो जाती है। यह एक यूनिवर्सल टूथ है। पार्टी की रणनीति तो ठीक है।

▶ हरियाणा में सीएम मनोहर लाल खट्टर के बदलाव से आपकी संभावनाओं को मदद मिल रही है या इससे दिक्कत हो रही है?

▶ यहां पर दोनों चीजें है। खट्टरजी रहते तो भी ठीक था। बदला तो भी ठीक है। सीएम की शकल देखी या नहीं, लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है। इतनी एंटी इंकमबेंसी थी, इसलिए ऐन चुनाव से पहले बदला। यहां पर प्रशासन को भी कंफ्यूजन है। कहीं न कहीं वे घबरा गए या बदलाव जो हुआ, यह एक चूक है।

 

 

▶ गठबंधन जो टूटा है, उसे सैलजा किस तरह लेती है?

▶ यहां पर आपस में नूराकुश्ती चल रही है। असलियत ये है कि दोनों दल इस कदर डिस्क्रेटेड हो गए, दोनों एक-दूसरे के साथ जा भी नहीं सकते। हरियाणा में यह स्क्रिप्ट पहले से ही लिखी गई थी। चुनाव से पहले यह होना ही था। लोगों की आंखों में कितनी धूल झोकेंगे? 

▶ सिरसा में क्या ऐसा है आपकी पार्टी के संदर्भ में कि आपको वोट दें?

▶ मैंने यहां के लोगों को कभी धोखा नहीं दिया, गुमराह भी नहीं किया। जितना हो सका, काम करने की कोशिश की है। रेपुटेशन एक दिन में नहीं बनती, सिरसा में हमने काफी काम किया। यहां पर रेलवे शुरू किया। मौका मिलेगा तो लोगों की सेवा करेंगे।

▶भाजपा ने 10 साल में कायापलट कर दिया? 

▶ कोई जमीन पर काम किया हो,  ऐसा यहां कुछ दिखा नहीं। पता तो चले, कोई प्रोजेक्ट लाया केंद्र से। यहां मेडिकल कॉलेज बनाया, वह है कहां, राष्ट्रपति से शिलान्यास कराया। मुख्यमंत्री ने भी शिलान्यास किया, लेकिन वह इमारत कहां है? जब नान पॉलिटिकल लोग आ जाएं तो कहां काम होगा। खट्टरजी का कोई राजनीतिक स्टेटस नहीं रहा। लोगों से जुड़ाव अलग चीज है। वो जब लोगों के बीच नहीं गए। यहां नेट ही नहीं है। यहां पांच किलो अनाज दे रहे हैं, गरीबों को यह मिल रहा है, वह मिल रहा है। मोदीजी को कुछ पता नहीं, यहां पर बाजरी मिल रही है लोगों को, जो जानवर भी न खाएं। जब अनुभव न हो तो यही हाल होता है

▶ राहुल गांधी के संदर्भ में कहा जाता है कि उनको जमीन को अता-पता नहीं रहता। आपके लिए वे समस्या है या समाधान बन पाए है?

▶ राहुल गांधी ने जो काम किया है, वैसा किसी ने नहीं किया। लोगों के बीच 10 हजार किलोमीटर चलकर गए। जो उन्होंने किया, वह किसी राजनेता नहीं किया। लोगों से मिलकर समस्याएं जानी। यह भाजपा को प्रोपोगेंडा है। इस पर वे हदें पार कर गए हैं। जब भगवान जगन्नाथ को मोदीजी का भक्त बता दिया, इससे बड़ा प्रोपोगेंडा क्या हो सकता है?

▶ राहुल गांधी कह रहे हैं कि हमारी सरकार बनवा दो, महिलाओं को 1 लाख देंगे। देश का इतना बजट नहीं है, यह कैसे होगा?

▶कांग्रेस ने गरीब परिवारों को ऊपर उठाने के लिए यह कहा। परिवार की एक गरीब महिला को यह सहायता देंगे। सारी चीजें देखकर ही यह कहा है। उन्हें ऊपर उठाएंगे। मैं गांव में लोगों से पूछती हूं कि मोदीजी के दोस्त कौन हैं तो लोग दो नाम बता देते हैं। हमारी दुश्मनी नहीं है। उनके दोस्तों ने कांग्रेस को टैंपो भरकर भेजे हैं, ये मोदीजी कहते हैं। तब उन्होंने क्यों ईडी और सीबीआई नहीं लगवाई। लोगों का कहना है कि सोना क्यों 75 हजार का हो गया है? मंगलसूत्र की बात करते हैं।

▶देश, दुनिया की तीसरी ताकत बनने जा रहा है, इस पर अवरोध क्यों डालने में लगी है?

▶ हम अवरोध नहीं डाल रहे हैं। देश के दो-तीन लोग दुनिया में अमीर लोगों में गिनती में रहें। यहां के गरीबों को बाजरी दे रहे हैं। लोगों के पास रोजगार नहीं है। आप डिस्पेरिटी देखिए, काम है नहीं लोगों के पास। आप कट्ट मंडी जाएं, वहां पर लोग सामान नहीं ले रहे हैं। वहां पर लेबर काम मांग रहे हैं। वो कह रहे हैं कि हमें बाजरी मत दो, वे काम मांग रहे हैं। गरीबों को और गरीब बना दिए। गरीबों को यहां पर मकान बनाकर देने की बात करते हैं, बताएं तो, कहां पर बनाएं हैं। पिछले दस साल में कितने गरीबों के मकान बने हैं। इनसे आंकड़े मांगे गए, लेकिन कुछ है नहीं।

▶ आप के अनुसार काम नहीं किया तो इन्हें वोट कैसे मिल जाता है?

▶ पिछली बार की बात करें तो बालाकोट को राजनीतिक रूप से बहुत भुनाया। उसके चार माह बाद 75 पार का नारा दिया और 46 पर आ गए। इनको झूठ बोलने की आदत हो गई है, इसे हम पहचान गए हैं। इस बार उन्होंने मंदिर को भुनाने की कोशिश की, आप क्या करना चाहते हैं, यह बताएं।
 

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