बिहार SIR विवाद: मतदाता सूची से 35 लाख नाम हटाने पर बवाल, संसद में विपक्षी दलों का हंगामा, ECI ने दी सफाई

बिहार SIR विवाद: 35 लाख नाम गायब, विपक्ष का संसद में विरोध, चुनाव आयोग ने दी सफाई
मुख्य बिंदु
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मसौदा मतदाता सूची में भारी बदलाव
35 लाख मतदाताओं के नाम हटाने के आरोप पर सियासी तूफा
चुनाव आयोग का दावा – 1.60 लाख बीएलए ने भागीदारी की, किसी ने आपत्ति नहीं की
विपक्ष संसद में चर्चा की मांग पर अड़ा
चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रमुख तथ्य
- 1 अगस्त 2025 को मसौदा सूची प्रकाशित हुई।
- अब तक 3,659 दावे-आपत्तियां केवल आम मतदाताओं से प्राप्त हुई हैं।
- राजद के 47,506 और सीपीआई(एम-एल) के 1,496 बीएलए सक्रिय रूप से शामिल हुए, लेकिन एक भी आपत्ति दर्ज नहीं की गई।
- 12 दलों के 1.60 लाख बीएलए ने एसआईआर प्रक्रिया में भाग लिया।
क्या है विपक्ष का आरोप?
विपक्षी दलों का दावा है कि करीब 35 लाख मतदाताओं के नाम, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के, मनमाने तरीके से मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। यह कार्रवाई लोकतंत्र के खिलाफ और पक्षपातपूर्ण है। इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष संसद में चर्चा की मांग कर रहा है। चुनाव आयोग ने इस पर स्पष्ट किया कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी भी नाम को सूची से नहीं हटाया जा सकता।
BIHAR SIR 2025: DAILY BULLETIN
— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 6, 2025
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चुनाव आयोग की क्या है सफाई?
- चुनाव आयोग ने बताया कि यह एसआईआर प्रक्रिया 2025 के तहत जनगणना-आधारित पुनरीक्षण है। इसमें मृत, पलायन कर चुके और पते पर अनुपस्थित मिले मतदाताओं के नामों की समीक्षा की जा रही है।
- चुनाव आयोग के अनुसार, 35 लाख लोगों के पते या तो गलत मिले हैं या फिर वे दिए गए पते पर उपलब्ध नहीं थे। आयोग ने स्पष्ट किया कि 1 महीने तक दावे/आपत्तियों का समय दिया गया है। किसी नाम को बिना सुनवाई और आदेश के नहीं हटाया जाएगा।
65 लाख वोटर्स के नाम हटाए जाने का दावा
एसडीआर ने चुनाव आयोग द्वारा की जारी SIR प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा कर लिए गए हैं। यानी 65 लाख मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में शामिल नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ECI से तलब की सूची
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में चुनाव आयोग से जानकारी मांगी है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जवल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह ने 9 अगस्त तक उन 65 लाख वोटर्स का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है, जिनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। लिस्ट की एक कॉपी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) को देने को भी गया गया है।
सभी विपक्षी पार्टियां SIR पर चर्चा चाहती हैं। सभी पार्टियों ने स्पीकर, चेयरमैन और सरकार से बार-बार कहा है कि वोट चोरी पर चर्चा की जाए।
— Rajasthan PCC (@INCRajasthan) August 6, 2025
मौजूदा सरकार को जहां समझ आता है, वहां वे वोट बढ़ा लेती है और अब वो बिहार में वोट काट रही है।
हमें SIR पर चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि… pic.twitter.com/wsCK8ahSsn
विपक्ष की मांग
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा, मोदी सरकार को जहां समझ आता है, वहां वह वोट बढ़ा लेती है। अब बिहार में वोट काटे जा रहे हैं। संसद में हमें SIR पर चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए। ताकि, लोगों के मतदान के अधिकार सुरक्षित किया जा सके। अगर वोटर लिस्ट में नाम नहीं होगा तो लोगों की नागरिकता पर भी संदेह की स्थिति बनेगी।
- लोकसभा में उप नेता प्रतिपक्ष गौरव गोगोई ने पूछा मताधिकार और वोटिंग प्रक्रिया पर चर्चा से सरकार क्यों भाग रही है। आखिर वह क्या छिपाना चाह रही है? इसमें ऐसी कोई बात नहीं जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो, इसलिए SIR के मुद्दे पर चर्चा होनी ही चाहिए।
