Logo
election banner
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और गंगा नदी में स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है।

(कीर्ति राजपूत)

Margshirsh Purnima 2023 : इस वर्ष मार्गशीर्ष पुर्णिमा 26 दिसंबर 2023 को मनाई जा रही है। ये साल 2023 की आखिरी पूर्णिमा होगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सनातन धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान, पुण्य और पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं, यह भी कहा जाता है जो व्यक्ति इस दिन पवित्र नदी में स्नान करता है उसके सारे दुख, दर्द और पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इस दिन का महत्व और तिथि के बारे में।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 26 दिसंबर की सुबह 5:46 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन 27 दिसंबर को 6:02 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 26 दिसंबर 2023 को ही रखा जाएगा। इस दिन ही गंगा स्नान कर भगवान लक्ष्मी नारायण की विधि विधान से पूजा पाठ करना बहुत शुभ होता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन क्या करें
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रात: काल उठकर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए, यदि यह संभव नहीं है तो किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और अगर यह भी संभव नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें।
इसके बाद लक्ष्मी नारायण का पूजन करना चाहिए।
लक्ष्मी नारायण के पूजन में उन्हें विशेष कर पीला फूल, पीले वस्त्र, पीला चंदन और पीले रंग का ही भोग लगाएं।
ऐसा करने से लक्ष्मी नारायण की आप पर असीम कृपा बनी रहेगी, इसके बाद उनका पूजन कर लक्ष्मी नारायण का ध्यान करें, और अपने दुख दर्द दूर करने की मनोकामना करें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाना बहुत फायदेमंद होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी लें और उससे किसी भी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें, ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किये जाने वाला दान का परिणाम दूसरी अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना ज्यादा प्राप्त होता है. इसी कारण इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। 

5379487