Baglamukhi Mandir Nalkheda: मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित नलखेड़ा के विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर में इन दिनों नवरात्रि महोत्सव जारी है। हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु शक्ति आरधना के लिए पहुंच रहे हैं। बताया जाता है कि लखुंदर नदी के किनारे स्थित इस मंदिर की स्थापना महाभारत कॉल में हुई थी। 

मंदिर के पुजारी कैलाश नारायण ने बताया कि बगलामुखी माता की स्थापना महाभारत में विजय प्राप्ति के लिए महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रेरणा से विशेष साधना के लिए कराइ थी। तीन मुख वाली मां बागलामुखी के दरबार में नवरात्रि के समय तंत्र साधना भी की जाती है। बगलामुखी मंदिर में मां लक्ष्मी, भगवान श्रीकृष्ण, हनुमान, भैरव और सरस्वती देवी विराजमान हैं।  

नलखेड़ा की बगलामुखी मंदिर को लोग देहरा के नाम से जाना जातते थे। हल्दी और पीले रंग की पूजन सामग्री का विशेष महत्व है। दुनिया में यह अकेला मंदिर है, जहां देवी पूजा में खड़ी हल्दी के साथ हल्दी पाउडर चढ़ती है। 

दुनिया में तीन बगलामुखी के तीन मंदिर 
सिद्धिदात्री मां बगलामुखी की दायीं ओर महालक्ष्मी और बाईं ओर महासरस्वती विराजी हैं। मान्यता है कि मां बगलामुखी की पावन मूर्ति विश्व में केवल तीन जगह विराजित है। एक नेपाल, दूसरी मध्य प्रदेश के दतिया और तीसरी नलखेड़ा में। नेपाल और दतिया में आद्यि शंकराचार्य ने मां की प्रतिमा स्थापित कराई थी। जबकि, नलखेड़ा में मां बगलामुखी पीताम्बर रूप में शाश्वत काल से विराजित हैं। 

पुत्र रत्न के लिए दीवार पर स्वास्तिक 
नलखेड़ा के बागलामुखी मंदिर की पिछली दीवार पर पुत्र रत्न की मनोकाना के साथ स्वास्तिक बनाने का प्रचलन है। भक्त बताते हैं कि मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद मंदिर परिसर में हवन करते हैं, जिसमें पीली सरसों, हल्दी, कमल गट्टा, तिल, जौ, घी, नारियल का होम लगाते हैं। वह बताते हैं कि मंदिर में हवन करने से सफलता की संभावना दोगुनी हो जाती है। 

तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है मां बगलामुखी
पं. वैभव वैष्णव ने बताया कि मां बगलामुखी मंदिर में द्वापर युग से लोग यहां तंत्र साधना के लिए आते हैं। यही कारण है कि बगलामुखी माता को तंत्र की देवी कहते हैं। नदी किनारे स्थित इस मंदिर के चारो ओर श्मशान है। मंदिर के पश्चिम में गुदरावन, पूर्व में कब्रिस्तान और दक्षिण में कच्चा श्मशान स्थित है। तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए लोग यहां दूर दूर से आते हैं। मंदिर की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है। 

नलखेड़ा के बगलामुखी मंदिर कैसे पहुंचे 
नलखेड़ा का बगलामुखी मंदिर बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से 100 किमी दूर है। जबकि, भोपाल और इंदौर से इंदौर से 156 किमी, भोपाल 182 किमी और कोटा राजस्थान 191 किमी दूर है। बस, ट्रेन अथवा कैब के जरिए भी आगर मालवा पहुंच सकते हैं। यहां से मंदिर पास ही में है।  


बगलामुखी मंदिर का महत्व