Diwali: भारत के इस राज्य में नहीं मनाया जाता दिवाली का त्योहार, जानें प्रमुख वजहें

Diwali celebration in Kerla
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Diwali celebration in Kerla
केरल में दिवाली पर लोग न तो लक्ष्मी-गणेश का पूजन करते हैं और न ही न पटाखे जलाते हैं। इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं।

Diwali celebration in Kerala: दिवाली भारत में सबसे प्रमुख त्योहार है। पूरे देश में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जहां दिवाली नहीं मनाई जाती? इनमें प्रमुख राज्य केरल है।

भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित केरल में दिवाली का उत्सव कम ही देखने को मिलता है। केरल के लोग न तो मां लक्ष्मी और न भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वह दिवाली पर न पटाखे जलाते हैं और न दीये जलाते हैं। इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं।

पहली वजहः महाबली राजा की मृत्यु
केरल में मान्यता है कि दिवाली के दिन ही उनके महान राजा महाबली की मृत्यु हुई थी। राजा महाबली केरलवासियों के लिए बहुत पूजनीय हैं और उनकी याद में ओणम का त्योहार मनाते हैं। दिवाली का दिन उनके लिए शोक का प्रतीक है। यही कारण है कि इस दिन न दिया जलाते हैं, न आतिशबाजी करते हैं।

दूसरी वजहः धार्मिक जनसंख्या
केरल में हिन्दूओं के अपेक्षा ईसाई और मुस्लिम आबादी ज्यादा है। यही कारण है कि केरल में दिवाली, दशहरा और होली जैसे हिन्दू त्योहार उतने बड़े पैमाने पर नहीं मनाए जाते, जितना कि इन्हें उत्तर भारत में मनाया जाता है।

तीसरी वजहः मौसम की समस्या
केरल में अक्टूबर-नवंबर तक बहुत ज्यादा बारिश होती है। इस कारण भी यहां पटाखे फोड़ना और और दीये जलाना काफी मुश्किल हो जाता है। अधिकतर समय बारिश के कारण दीपों और पटाखों का आनंद नहीं उठाया जा सकता। यही वजह है कि यहां दिवाली का उत्सव नहीं मनाया जाता।

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तमिलनाडु में नरक चर्तुदशी
केरल के अलावा तमिलनाडु भी ऐसा राज्य है, जहां दिवाली उतनी धूमधाम से नहीं मनाया जाता। यहां के लोग सिर्फ नर्क चतुर्दशी यानी रूप चौदस का त्योहार मनाते हैं। यह दिवाली से एक दिन पहले आता है। तमिलनाडु में रूप चौदस को ज्यादा प्रमुखता दी जाती है। लोग इसे नरकासुर के वध के रूप में मनाते हैं।

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