रविवार को पूर्ण चंद्र ग्रहण: एक साल में कुल कितने ग्रहण लग सकते हैं? जानें

रविवार, 7 सितंबर की रात पूरे भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण।
रविवार, 7 सितंबर की रात पूरे भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। यह इस साल का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण होगा, जो रात 8:58 बजे से 1:26 बजे तक चलेगा। खगोलविदों के मुताबिक, एक साल में अधिकतम 7 ग्रहण लग सकते हैं, जिनमें कम से कम दो सूर्य ग्रहण अनिवार्य होते हैं।
2025 की बात करें तो खगोलविदों के अनुसार, इस साल कुल 4 ग्रहण लगेंगे, जिसमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से दो ग्रहण पहले ही हो चुके हैं। पहला- 14 मार्च को पूर्ण चंद्र ग्रहण (भारत में दिखाई नहीं दिया) और दूसरा- 29 मार्च को आंशिक सूर्य ग्रहण था। अब तीसरे क्रम में 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा, जबकि चौथा और अंतिम ग्रहण 21 सितंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
चंद्र ग्रहण का खास नजारा
नेहरू तारामंडल, मुंबई के निदेशक अरविंद परांजपे ने बताया कि यह संपूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए नजर आएगा। खगोल विज्ञान में इसे “ब्लड मून” भी कहा जाता है। परांजपे के अनुसार, तीन साल पहले भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला था, जब चंद्र ग्रहण के साथ ब्लू मून भी हुआ था।
चंद्रमा लाल क्यों दिखता है?
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती। यह किरणें पहले पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती हैं, जहां नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रंग की किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं। इसी वजह से ग्रहण के दौरान चंद्रमा लालिमा लिए दिखाई देता है।
सूतक और धार्मिक मान्यताएं
हिंदू मान्यता के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल लागू होता है। इस दौरान भोजन करना और मंदिर में स्पर्श करना वर्जित माना जाता है। हालांकि बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को इससे छूट दी जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
अरविंद परांजपे का कहना है कि चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है और इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होता। उन्होंने कहा, “65 सालों में मैंने वो सब किया, जो ग्रहण में न करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ। यह सिर्फ तीन खगोलीय पिंडों- सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति बदलने से होता है।”
नजारा होगा बेहद खास
पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा धीरे-धीरे अंधकारमय होकर लाल रंग में बदल जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खगोलीय दृश्य भारत समेत एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों से साफ दिखाई देगा।
इनपुट्स: आईएएनएस
