राइट टू प्राइवेसी: जानिए क्या है पूरा मामला

निजता का अधिकार यानि (राइट टू प्राइवेसी), मौलिक अधिकार है या नहीं इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।
इससे पहले इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 3 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ इस पर अपना फैसला सुनाएगी।
इसे भी पढ़ें: निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
ये है पूरा मामला
- केंद्र सरकार ने आधार कार्ड की मान्यता को इतना बढ़ा दिया कि किसी भी लाभ के लिए अपनी निजी जानकारी को आपको न चाहते हुए भी सरकार या कम्पनी के साथ साझा करना होगा।
- केंद्र सरकार की आधार योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिका दाखिल की गई थीं।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले आदेश में कहा था कि सरकार और उसकी एजेंसियां योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जरूरी ना बनाएं।
- इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये छूट दी थी कि एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) से लाभ लेने के लिए लोगों से वॉलेंटरी आधार कार्ड मांगे जाएं।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश खेहर 27 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
करीब एक पखवाड़े तक चली मैराथन सुनवाई में केंद्र सरकार व गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र केरल आदि राज्यों के अलावा याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान, गोपाल सुब्रह्मण्यम आदि ने अपने पक्ष रखे।
केंद्र सरकार का कहना था कि निजता का अधिकार तो है लेकिन यह मौलिक अधिकार नहीं है।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
Tags
- होम
- क्रिकेट
- ई-पेपर
- वेब स्टोरीज
- मेन्यू
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS