कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी, बच्चे गुमशुदगी के मामले में तमाशा न बनाए राज्य

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By - haribhoomi.com |16 Oct 2014 6:30 PM
यालय ने कहा कि यह दुखद है कि अनेक न्यायिक आदेशों के बावजूद इस तरह की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं।
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बच्चों की गुमशुदगी की बढ़ती संख्या और उनका पता नहीं लगने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए आज कहा कि सभी राज्यों से इस बारे में एक एक करके सफाई मांगी जाएगी। न्यायालय ने आज बिहार तथा छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पेश होकर इस मसले में की गयी कार्रवाई के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सभी राज्यों को सख्त चेतावनी देते हुये कहा कि इस मसले को ‘तमाशा’ नहीं बनाया जाये और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये कठोर कदम उठाये जाये।
न्यायालय ने कर्नाटक और त्रिपुरा के मुख्य सचिवों को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर प्रस्तावित कार्य योजना की जानकारी देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि सभी राज्यों से एक एक कर इस बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि कल एक महिला अपने गुमशुदा बच्चे की शिकायत लेकर उनके निवास पर आयी थी। उन्होंने कहा, समाचार पत्रों में बच्चों की गुमशुदगी के बारे में पढ़कर तकलीफ होती है।
न्यायालय ने कहा कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने में वह संकोच नहीं करेगा यदि उनके अधिकार क्षेत्र में इस तरह की घटनायें होती रहीं। न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई कर रहा है लेकिन इसके बावजूद इस तरह की घटनायें होती जा रही हैं। न्यायालय ने कहा कि यह दुखद है कि अनेक न्यायिक आदेशों के बावजूद इस तरह की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुलका की दलीलें सुनने के बाद इस संबंध में आदेश दिया। फुलका का कहना था कि अभी भी कई राज्यों ने इस बारे में आंकड़े मुहैया नहीं कराये हैं और उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के आदेश पर अमल की रिपोर्ट भी नहीं दी है।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, हर थाने में किशोर कल्याण अधिकारी-
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