झारखंड: राज्यपाल ने राज्य के मॉब लिंचिंग विधेयक 2021 को दो आपत्तियों के साथ लौटाया
साल 2019 में तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ ने डंडे से बांधकर पीट-पीटकर मार डाला था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। वीडियो में अंसारी को जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Jharkhand Governor Ramesh Bais) ने राज्य के मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021 (Mob Violence and Mob Lynching Bill 2021) को दो आपत्तियों के साथ लौटा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, आपत्तियों की स्वरूप को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संज्ञान में लाया जाना बाकी है। बता दें कि झारखंड में मॉब लिंचिंग का मामला 2019 में सामने आया था।
साल 2019 में तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ ने डंडे से बांधकर पीट-पीटकर मार डाला था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। वीडियो में अंसारी को जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था।
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2021 में दिसंबर के महीने में मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक पर एक संशोधन चर्चा में भाजपा विधायक अमित कुमार मंडल ने "भीड़" शब्द की परिभाषा और इसके संभावित दुरुपयोग का मुद्दा उठाया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलटवार करते हुए कहा था कि वे लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान सोरेन ने कहा था, भाजपा बुद्धिजीवी हैं जो आम लोगों को भ्रमित कर रही है। मॉब लिंचिंग एक्ट की बात करें तो बताएं कि यह मुस्लिम लिंचिंग एक्ट है, आदिवासी लिंचिंग एक्ट है या हिंदू लिंचिंग एक्ट है?... भीड़ एक भीड़ है। मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक को 21 दिसंबर, 2021 को राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था, और राज्यपाल को उनकी सहमति के लिए भेजा गया था।