असली जैसे दीखते है नकली नोट ठगी में हो सकता है इस्तेमाल

नकली और चूरन वाले नोट में पहचान करना बेहद कठिन है। नकली नोट की गड्डियों का इस्तेमाल कर ठगी की वारदातों का खतरा बढ़ गया है। वहीं एटीएम मशीन पहुंचने पर ग्राहक परेशान हो सकते हैं। बावजूद इसके इस पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा।
हाल ही में रायपुर के एक माध्यमिक शिक्षा मंडल कार्यालय में प्रदर्शन के दौरान नोट उड़ाने के बाद से नकली नोट बनाने की आशंका बढ़ती जा रही है। प्रदर्शन में मिले नकली नोट की पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी है।
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नोट कैसे बने और कहां से आए, पुलिस इसके बारे में डिटेल इकट्ठा कर रही है। दरअसल जानकारों का मानना है कि नोट पर महात्मा गांधी की फोटो लगाकर नोट बनाना गलत होता है।
अगर नोट पर पहले से नकली लिखा है, तो महात्मा गांधी की फोटो लगाना संविधान के खिलाफ है और यह कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में बेचने वाले और लेने वाले दोनों पर ही कार्रवाई हो सकती है।
प्रिंटर से नोट बनाने की आशंका
जानकारों का मानना है कि दिल्ली, यूपी और राजस्थान में नोटबंदी के बाद 500 और हजार रुपए के नोट मार्केट में आते ही जाली नोट बनाने वाला गिरोह सक्रिय हो गया था। पकड़े जाने पर खुलासा हुआ कि असली नोट को स्कैन कर कलर प्रिंटर की मदद से हूबहू असली की तरह नोट बनाते थे।
कंप्यूटर और प्रिंटर की मदद से करोड़ों रुपए के जाली नोट बनाकर मार्केट में खपाने की तैयारी में थे। ऐसे में आशंका है कि कंप्यूटर और प्रिंटर का गिरोह शहर में सक्रिय है जो नकली नोट बनाने का कारोबार कर रहा है।
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नकली नोट आय का बना साधन
अब तक कई लोगों के हाथों में 500 और 2000 रुपए के नकली नोट आ चुके हैं, जिनकी पहचान कर पाना कठिन है। इतना ही नहीं, इसी तरह के नकली नोट मात्र एक-दो रुपए के चूरन में बच्चों को मिल रहे हैं, जो इन नोटों को बहुत संभालकर जमा कर रहे हैं।
साथ ही मनोरंजन खजाना आदि से प्राप्त हुए 500 और 2000 के नोटों को जमा कर कमाई का साधन बनाया जा रहा है।
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