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सेना की दो गाड़ियों को गुरुवार को अल सुबह घात लगाए आतंकियों ने निशाना बनाया। 4 जवान शहीद हुए, 7 घायल हैं। सेना सघन सर्च ऑपरेशन चला रही है।

Terrorist Attack in Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर के राजैारी और पुंछ जिले की सीमा पर गुरुवार को आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया।आतंकी संगठन पीएएफएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। पीपुल्स एंटी फासिस्ट पार्टी(PAFF) कश्मीर में 370 हटने के बाद से चर्चा में आया है। यह घाटी में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। इस पर गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। हाल के वर्षों में यह आतंकवादी संगठन सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बन गया है।

सेना की दो गाड़ियों को बनाया गया था निशाना Terrorist Attack in Jammu Kashmir
आतंकियों ने गुरुवार को डेरा की गली में सेना के काफिले के दो वाहनों को निशाना बनाया। काफिले में एक जिप्सी और एक मिनी ट्रक शामिल था। घटना अल सुबह 3.45 बजे घटी। इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए। वहीं, सात जवान जख्मी भी हुए थे। दरअसल इस इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सेना का यह काफिला आतंकियों की धरपकड़ के लिए निकला था। हालांकि, आधे रास्ते में ही इसपर हमला कर दिया गया। 

सेना चला रही है सर्च ऑपरेशन 
हमले का शिकार हुए सेना की दोनों गाड़ियां सुरनकोटे के बुफलियाज से राजौरी के थनामंडी जा रही थी। इसे निशाना बनाने के लिए पहले से ही आतंकी डेरा की गली में घात लगाए बैठे थे। आतंकियों की धड़-पकड़ के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। जिस जगह आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया, वहां आसपास घना जंगल है। ऐसे में सर्च ऑपरेशन चलाने में सेना को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह पूरा ऑपरेशन सेना के राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन ऑपरेट कर रहा है।

 

क्या है पीएफएफ? कैसे करता है काम
पीएएफएफ एक नया आतंकवादी संगठन है। इसके काम करने का तरीका अलग है। इसके आतंकी छोटे-छोटे गुटों में बंटकर अलग अलग जगहों पर छुपे रहते हैं। इसमें खास तौर पर बिना आपराधिक रिकॉर्ड वाले स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है। "हाइब्रिड आतंकवादियों" के रूप में जाने जाने वाले ये आतंकी घात लगाकर हमला करते हैं और फिर सामान्य जीवन में वापस आ जाते हैं। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए उन्हें पकड़ना एक चुनौती बन गई है।

इस साल आतंकी हमलों में 19 जवान हुए शहीद
इससे पहले राजौरी के बाजीमल जंगलों में आतंकी ने इसी तरह घात लगाकर हमले किए थे। इसके साथ ही भाटी धुरियन और चमरेर जंगल में भी इसी प्रकार के हमलों को अंजाम दिया गया था। बीते महीने सुरक्षा बलों ने अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर क्वारी समेत दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। इस साल अकेले राजौरी, पुंछ और रियासी में आतंकवादी हमलों के कारण 19 सैनिकों की जान चली गई। जबकि, सुरक्षा बलों ने इन क्षेत्रों में 28 आतंकवादियों को मार गिराया है। 

प्रमुख विपक्षी नेताओं ने की हमले की निंदा
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने इस हमले की निंदा की है।  राहुल गांधी ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, "जम्मू कश्मीर के राजौरी में हुए कायराना आतंकी हमले में हमारे जवानों की शहादत की खबर बहुत दुखद है। भारत की रक्षा में उनका यह सर्वोच्च बलिदान देश सदा याद रखेगा।  प्रियंका गांधी ने पोस्ट किया आतंक और हिंसा के खिलाफ पूरा देश एकजुट हो। उन्होंने शहीद जवानों के परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की।

महबूबा मुफ्ती ने घटना पर दु:ख जताया

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स पार्टी (JKPDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी इस हमले पर दु:ख जताया। उन्होंने कहा कि इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा करती हूं। उन्होंने शहीद हुए सभी सेना के जवानों के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट की है। 

जम्मू-कश्मीर में खत्म नहीं हुआ है आतंकवाद: फारूख अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में  अभी भी आतंकवाद कायम है। उन्होंने सुरक्षा जोखिमों के बावजूद पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए केंद्र सरकार आलोचना की।  अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवादी गतिविधयां अभी भी जम्मू-कश्मीर में चल रही है। सरकार इसे रोकने के बदले पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। अगर किसी टूरिस्ट को एक भी गोली लग गई तो यहां कोई देखने तक नहीं आएगा।

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