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Swami Nischalanand Maharaj on Ram Mandir Pran Pratishtha event: स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि शंकराचार्यों की अपनी गरिमा होती है, जिसे बनाए रखना उनका दायित्व होता है। यह शंकराचार्यों का अहंकार नहीं है। क्या हमसे यह उम्मीद की जाती है कि जब प्रधानमंत्री रामलला की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करेंगे तो हम बाहर बैठेंगे और तालियां बजाएंगे?

Swami Nischalanand Maharaj on Ram Mandir Pran Pratishtha event: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होगा। 16 जनवरी यानी कल मंगलवार को धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। इस बीच विपक्षी दलों ने दावा किया है कि चारों शंकराचार्यों ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने का फैसला किया है। इस बीच पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने खुलासा किया है कि शंकराचार्य निमंत्रण के बावजूद अयोध्या क्यों नहीं जाएंगे। उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा में परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए शंकराचार्य वहां नहीं जा रहे हैं। 

शंकराचार्यों की अपनी गरिमा
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि शंकराचार्यों की अपनी गरिमा होती है, जिसे बनाए रखना उनका दायित्व होता है। यह शंकराचार्यों का अहंकार नहीं है। क्या हमसे यह उम्मीद की जाती है कि जब प्रधानमंत्री रामलला की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करेंगे तो हम बाहर बैठेंगे और तालियां बजाएंगे? उन्होंने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष सरकार की मौजूदगी का मतलब परंपरा का विनाश नहीं है। स्वामी निश्चलानंद इस समय गंगासागर में हैं।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी उठाए थे सवाल
यह पहली बार नहीं जब स्वामी निश्चलानंद ने राम मंदिर के उद्घाटन पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले उन्होंने शनिवार को कहा था कि रामलला शास्त्रीय विधा से प्रतिष्ठित नहीं हो रहे हैं। इसलिए राम मंदिर के उद्घाटन में मेरा जाना उचित नहीं है। आमंत्रण आया है कि एक व्यक्ति के साथ उद्घाटन में आ सकते हैं। हम आमंत्रण से नहीं कार्यक्रम से सहमत नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त का ध्यान रखा जाना चाहिए। स्कंद पुराण में नियम लिखे हैं। वहीं, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी निर्माणाधीन मंदिर के उद्घाटन पर वाल उठाए हैं। 

विपक्षी दलों का दावा- कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे शंकराचार्य
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकराते हुए कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे शंकराचार्य (धार्मिक गुरु) भी राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, जिससे पता चलता है कि इसमें शामिल नहीं होने का कारण महत्वपूर्ण है।

गहलोत ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि सभी शंकराचार्य कह रहे हैं कि वे इसका बहिष्कार करेंगे। घटना। यदि शंकराचार्य ऐसा कह रहे हैं, तो इसका अपना महत्व है। 

सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर साधा निशाना
आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को राजनीतिक बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश की दो तिहाई आबादी को भाजपा भगवान राम से अलग करने की कोशिश कर रही है। प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए एक प्रणाली और अनुष्ठानों का विधान है। यदि यह आयोजन धार्मिक है, तो क्या यह चार पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में हो रहा है? चारों शंकराचार्यों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि एक अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती। यदि यह आयोजन धार्मिक नहीं है, तो यह राजनीतिक है।

बता दें कि ओडिशा के पुरी में गोवर्धन पीठ और उत्तराखंड के चमोली में ज्योतिर मठ के शंकराचार्यों ने कहा है कि वे गर्भगृह में पीएम मोदी की उपस्थिति और अन्य कारणों के चलते प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे। कर्नाटक के श्रृंगेरी में शारदा पीठ और गुजरात के द्वारका में शारदा पीठ के लोगों ने अब तक अपनी उपस्थिति की पुष्टि या खंडन नहीं किया है।

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