S Jaishankar Russia Visit: विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को रूस के पांच दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे। जयशंकर दोनों देशों के बीच चल रही उच्च स्तरीय चर्चा में हिस्सा लेंगे। अपने इस दौरे के दौरान जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री और उद्योग एवं व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच आर्थिक मोर्चे पर साझेदारी बढ़ाने के बारे में बातचीत होगी। इसके साथ ही वह रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव से भी मिलेंगे। यह पूरा कार्यक्रम मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में होगा।
समकक्ष सर्गेई लावारोव से मुलाकात करेंगे जयशंकर
जयशंकर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावारोव से विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। इस दौरान रूस और भारत के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा होगी। विदेश मंत्री अपने इस दौरे के दौरान व्यापार, ऊर्जा, सैन्य संबंध और कनेक्टिविटी बढ़ाने जैसे अहम मुद्दों पर भी रूस के मंत्रियों के साथ चर्चा करेंगे। इसके साथ ही रूस की ओर से जयशंकर को यूक्रेन युद्ध के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है।
इस साल भी नहीं हुआ रूस-भारत शिखर सम्मेलन
भारत और रूस के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है। हालांकि, यह लगातार दूसरा साल है, जब शिखर सम्मेलन नहीं हो सका। अब तक भारत और रूस के बीच में 21 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण यह सम्मेलन टाला गया। आखिरी बार शिखर सम्मेलन साल 2021 में नई दिल्ली में हुआ था। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के बीच बातचीत हुई थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर स्थिति स्पष्ट कर चुका है भारत
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने भारत से इस विवाद को सुलझाने को कहा था। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। भारत ने शुरुआत से ही कहा है कि दोनों देशों (रूस और यूक्रेन ) के बीच बातचीत और कूटनीतिक माध्यमों से सुलझाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस मुद्दे पर अहम चर्चा हो सकती है।
भारत में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा
रूस और भारत के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। भारत रूस से क्रूड ऑयल खरीदता है। अमेरिका की ओर से यूक्रेन-रूस युद्ध का मुद्दा उठाए जाने के बाद भी रूस और भारत के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है। बीते दो साल में भारत में रूस से क्रूड आयल का आयात काफी ज्यादा बढ़ा है। अब भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और भी आगे ले जाने की योजना पर काम कर रहा है।