Lok sabha Election Results 2024: प्रशांत किशोर Vs योगेंद्र यादव, किसका सटीक बैठा अनुमान? जानें सबकुछ

Prashant Kishor Vs Yogendra Yadav
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Prashant Kishor Vs Yogendra Yadav
Prashant Kishore Vs Yogendra Yadav: प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं, योगेंद्र यादव ने साफ किया था भाजपा अपने दम पर 260 पार नहीं कर पाएगी।

Prashant Kishore Vs Yogendra Yadav: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों की स्थिति साफ हो चुकी है। भाजपा देश की नंबर वन पार्टी बनकर उभरी है। उसका NDA गठबंधन तकनीकी रूप से सरकार बना रहा है। लेकिन NDA सरकार की स्थिति उतनी अच्छी नहीं दिख रही है, क्योंकि न तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदों और टारगेट के मुताबिक नतीजे आए, न ही कांग्रेस की अगुवाई वाले INDI गठबंधन को उसके 295 सीटों के दावों पर जनता ने खरा उतारा है। इस बीच देश के 2 दिग्गज राजनीतिक विश्लेषक चर्चा में है।

एक प्रशांत किशोर तो दूसरे योगेंद्र यादव हैं। प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं, योगेंद्र यादव ने साफ किया था भाजपा अपने दम पर 260 पार नहीं कर पाएगी। आज, 4 जून को जब नतीजे आए तो उनका दावा सच साबित हुआ है। चुनाव आयोग के मुताबिक भाजपा करीब 240 के आंकड़े पर है। यह आंकड़े थोड़ी घट और बढ़ भी सकते हैं।

योगेंद्र यादव का सटीक बैठा विश्लेषण
अब बात योगेंद्र यादव की। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा अकेले दम पर 260 से अधिक सीटों को पार नहीं कर पाएगी। 300 का आंकड़ा पार करना असंभव है। उन्होंने अनुमान लगाया था कि भाजपा 275 या 250 सीटों से नीचे रह सकती है। योगेंद्र यादव ने भी प्रशांत किशोर की बात को दोहराते हुए कहा था कि एनडीए 400 पार नहीं कर सकती है।

भाजपा को सबसे अधिक नुकसान उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा में हुआ है। योगेंद्र यादव ने 26 अप्रैल को अनुमान लगाया था कि उत्तर प्रदेश में भूचाल आ सकता है। उस वक्त देश में सिर्फ 2 चरणों की वोटिंग हुई थी। उन्होंने कहा था कि मेरठ से बनारस तक 15 सीटों पर सैकड़ों ग्रामीण वोटर से बात कर यह साफ है कि सभी जगह सभी जातियों में भाजपा का वोट खिसक रहा है। 70 तो छोड़िए भाजपा के लिए 60 सीट बचाना भी नामुमकिन है। मुझे तो 50 भी नहीं दिख रहीं।

योगेंद्र यादव ने 7 कारण भी गिनाए थे

  • मोदी के लिए प्रति गुस्सा नहीं, उदासीनता है। उन्हें राशन का श्रेय मिलता है लेकिन इस बार उनके नाम पर वोट नहीं पड़ेगा।
  • मोदी की तुलना में योगी ज्यादा लोकप्रिय हैं, उन्हें गुंडागर्दी खत्म करने का श्रेय मिलता है।
  • बीजेपी के अधिकांश सांसदों और स्थानीय नेताओं के खिलाफ बहुत गुस्सा है।
  • वोटर के मन में महंगाई और बेरोजगारी है। गांव में छुट्टे जानवर सबसे बड़ा मुद्दा है।
  • बहुत वोटर परिवर्तन चाहते हैं चूंकि अगर तीसरी पंचवर्षीय में आ गए तब तो तानाशाही शुरू हो जाएगी
  • कुल मिलाकर बीजेपी के वोटर में एक चौथाई कहते हैं कि इस बार उसे वोट नहीं देंगे। सपा और कांग्रेस का वोट कायम है। बीएसपी में मामूली गिरावट है लेकिन वो बीजेपी को नहीं जा रहा।
  • अगर 2019 में बीजेपी के वोट का दसवां हिस्सा भी खिसक कर सपा कांग्रेस को मिल गया तो उसे 20 सीट का नुकसान हो सकता है। अगर इससे ज्यादा टूट गया तो परिणाम पूरी तरह से उलट जाएगा।

प्रशांत किशोर ने क्या कहा था?
प्रशांत किशोर ने कहा था कि लोग स्थानीय भाजपा उम्मीदवार से नाराज हो सकते हैं। लेकिन देश में पीएम मोदी के खिलाफ गुस्सा नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि भाजपा 370 और एनडीए 400 सीट पाने वाला है। यह सिर्फ एक जुमला है, जो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए बोला गया था। भाजपा के लिए 370 सीटें हासिल करना असंभव है। लेकिन भाजपा 270 के आंकड़े से नीचे नहीं जा रही है। मुझे लगता है कि भाजपा पिछले यानी 2019 लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन करेगी, जो कि 303 सीटें या शायद उससे थोड़ा बेहतर हो सकता है। प्रशांत ने भाजपा के लिए 300 सीटें दी थीं।

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