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Open debate PM Modi Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण से पहले देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुली बहस करने का न्यौता दिया है।

Open debate PM Modi Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण से पहले देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक अनूठा प्रस्ताव दिया है। दोनाें नेताओं से एक मंच पर खुली बहस करने की अपील की गई है। राहुल गांधी और पीएम मोदी को ओपन डिबेट के लिए अनुरोध करने वाले लोगों में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल हैं।

चिट्ठी लिखने वाले तीन लोग कौन?
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत पी शाह और द हिंदू के पूर्व एडिटर इन चीफ एन राम ने राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी को खुली बहस की अपील करते हुए चिट्ठी भेजी है। इस चिट्ठी में कहा गया है कि पीएम मोदी और राहुल गांधी एक मंच पर ओपन डिबेट करते हुए देखकर और सुनकर देश के आम लोगों को फायदा होगा। देश के लोगों को कई अहम मुद्दों का समझने में आसानी होगी। 

क्या लिखा गया है इस चिट्ठी में?
प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि देश की 18वीं लोकसभा चुनाव एक मिड पॉइंट पर पहुंच गई है। चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस, दोनों ने ही हमारे लोकतंत्र और संविधान से जुड़े अहम सवाल उठाए हैं। ऐसे में हम आप दोनों को ऐसा प्रस्ताव देते हैं तो देश के सभी नागरिकाें के हित में है। आप दोनों ने अपनी-अपनी क्षमताओं के मुताबिक देश की सेवा की है, इसलिए हम भारत के नागरिक होने के नाते आपके सामने यह प्रस्ताव लेकर आए हैं। 

पीएम मोदी और खड़गे की चुनौतियों का जिक्र
चिट्ठी में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में कांग्रेस को कई मुद्दों पर चुनौती दी है। प्रधानमंत्री ने आरक्षण, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और संपत्ति वितरण जैसे अहम मुद्दों पर कांग्रेस को चुनौती दी है। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री को संविधान से संभावित छेड़छाड़, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम और भारत सरकार की ओर से चीन को दी गई प्रतिक्रिया को लेकर सवाल पूछे हैं। इसके साथ ही दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के घोषणापत्र में किए गए वादों और संविधान द्वारा संरक्षित सामाजिक न्याय से जुड़ी स्कीम को लेकर भी सवाल उठाए हैं। 

दोनों तरफ के आरोपों को सुनकर हम चिंतित
चिट्ठी में लिखा है कि एक आम नागरिक के तौर पर चिंतित हैं, क्योंकि हमने दोनों ओर से सिर्फ लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोपों को ही सुना है। इन आरोपों पर कोई सार्थक जवाब नहीं सुना है। जैसा कि हम जानते हैं कि आज के डिजिटल युग में गलत बयानबाजी, झूठी खबरों और बहकाने की संभावना होती है। ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करना अहम है कि लोगों को दोनों पार्टियों के बीच हो रही बहस के बारे में पूरी जानकारी हो। ताकी, वह इसके आधार पर यह राय बना सकें कि उन्हें किसके पक्ष में वोटिंग करना है।

इस पब्लिक डिबेट से कायम होगी एक मिसाल
अगर दोनों नेता एक पब्लिक डिबेट करेंगे तो इससे जनता को फायदा होगा। लोगों के बीच राजनीतिक जागरूकता बढ़ेगी। वोटर्स को इस बात का पता चलेगा कि दोनों नेताओं का दृष्टिकोण क्या है। भारत को दुनिया के सबसा बड़ा लोकतंत्र माना जाता है, इसलिए यहां पर होने वाले इलेक्शन पर दुनिया भर की निगाहें टिकी होती है। अगर आप दोनों नेता(राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) एक पब्लिक डिबेट करते हैं तो यह एक मिसाल कायम करेगा।

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