Kolkata Rape-Murder: डॉक्टर से दरिंदगी की जांच 2 महिला अफसरों के जिम्मे, हाथरस और उन्नाव कांड को कर चुकी हैं हैंडल
Kolkata Doctor Murder Case
Kolkata Doctor Murder Accuse Sanjay Roy
Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की दो दिग्गज महिला अफसरों को सौंपी गई है। खास बात ये है कि इन दोनों अफसरों ने पहले भी कई चर्चित और पेचीदा मामलों की जांच सफलतापूर्वक खत्म की है। अब कोलकाता की डॉक्टर से दरिंदगी की जांच की जिम्मेदारी 1994 बैच की झारखंड कैडर की IPS संपत मीना संभालेंगी। वे हाथरस और उन्नाव रेप-मर्डर केस की जांच कर चुकी हैं। उनके साथ सीमा पाहुजा भी टीम में शामिल हैं, जो हाथरस कांड के इन्वेस्टिगेशन में अहम भूमिका निभा चुकी हैं।
जानिए कौन हैं, सीबीआई की दोनों होनहार ऑफिसर?
- संपत मीना फिलहाल CBI में अतिरिक्त निदेशक (एडिशनल डायरेक्टर) के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें कोलकाता रेप-मर्डर केस की जांच करने वाली 25 सदस्यीय टीम का प्रभारी बनाया गया है। जबकि ASP सीमा पाहुजा ग्राउंड लेवल पर जांच का लीड करेंगी। पाहुजा को 2007 से 2018 के बीच उत्कृष्ट जांच के लिए दो बार गोल्ड मेडल से मिल चुका है।
- सीमा पाहुजा ने कुछ साल पहले हिमाचल प्रदेश के एक ब्लाइंड केस के गुनहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। यहां एक हाईस्कूल छात्रा के साथ रेप और मर्डर हुआ था, इस मामले में 2017 में एक लकड़हारे अनिल कुमार को दोषी ठहराया गया और 2021 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। तब सीबीआई ने इस मामले को एडवांस डीएनए तकनीक से सुलझाया था।
उन्नाव केस: कुलदीप सिंह सेंगर को सलाखों के पीछे पहुंचा
इसके बाद उन्नाव रेप केस में भी इसी टीम ने आरोपियों को काल कोठरी तक पहुंचाया। इस केस में भाजपा नेता और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 17 साल की दलित लड़की के साथ गैंगरेप के आरोप में उम्रकैद की सजा हुई है। लड़की के पिता की न्यायिक हिरासत में हुई मौत के लिए भी सेंगर को 10 साल की सजा मिली थी।
हाथरस में दलित लड़की के साथ दरिंदगी की भी जांच की
हाथरस केस जिसने 2020 में पूरे देश में भारी आक्रोश पैदा किया था, में एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित तौर पर 4 सवर्ण आरोपियों ने गैंगरेप किया था। इस घटना के बाद पीड़िता की मौत हो गई थी और पुलिस द्वारा उसके शव का परिवार की अनुमति के बिना अंतिम संस्कार करने पर लोगों में गुस्सा था। हालांकि, इस मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया, जबकि चौथे आरोपी संदीप ठाकुर को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया, लेकिन दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं हो सका। इस मामले में यूपी पुलिस की जांच पर कई सवाल उठे थे।


