H B''''DAY: मिल्खा सिंह और गौरी खान, जानिए फ्लाइंग सिख और गौरी की जिंदगी के पहलू

H BDAY: मिल्खा सिंह और गौरी खान, जानिए फ्लाइंग सिख और गौरी की जिंदगी के पहलू
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शाहरूख और गौरी की कहानी परियों जैसी है।

नई दिल्ली. मिल्खा सिंह का जन्म गोविंदपुर में 8 अक्तूबर 1930 को हुआ था। वे एक सिख धावक है जिन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हे पाकिस्तान ने "उड़न सिख" का उपनाम दिया गया है। वे भारत के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं।

भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा- तफ़री में मिल्खा सिंह की आंखों के सामने उनके माँ बाप को मार दिया गया था। इसलिए वे शरणार्थी बनकर ट्रेन से भारत आ गए।

बचपन के भयानक अनुभव के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठान ली। एक होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने 200मी और 400मी की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे 400मी के विश्व रिकॉर्ड धारी भी रहे। उनका रिकॉर्ड 40 सालों तक बना रहा।

कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा था।

1958 में ही उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की कड़वी घटना की वजह से वो वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन पंडित नेहरू ने उन्हे मलाया क्योंकी मिल्खा उन्हे अपने पिता समान मानते थे। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार कर लिया।

दौड़ में मिल्खा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को हरा दिया और जीत गए। ज्यादातर मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को देखने के लिए अपने नक़ाब हटा लिए थे। पाकिस्तान ने उन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि मिली।

शाहरुख़ खान और गौरी की प्रेम कहानी एक सच्ची परियो की दास्ताँ है। एक ऐसे दांपत्य की कहानी है जिसने अपनी जिंदगी में कई उतार चढाव देखे है फिर भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। शाहरुख़ खान और गौरी प्यार के हर 'बेंचमार्क' पर खरे उतरे है। ये दोनों भारत के सबसे प्रभावशाली जोड़ों में शुमार है। अलग-अलग धर्म से वास्ता रखने के बावजूद भी दोनों ने दांपत्य जीवन के हर पल को साथ-साथ आनंद उठाया है जबकि उनका ये सफर आसान नहीं था।

शाहरुख़ को जहां उनके प्रशंसक सिनेमा की भगवान की तरह मानते है वही शाहरुख़ अपनी इस कामयाबी का पूरा श्रेय गौरी को देते है। आज वो भारत की एक प्रेरणादायक औरत बन गई है, जिसने की हर मुश्किल में अपने परिवार को जोड़े रखा। इन दोनों के सफर की दुर्लभ बाते

1. आज भी बॉलिवुड में जब भी सर्वश्रेष्ठ दंपतियों का नाम आता है तो शाहरुख खान और गौरी खान का नाम जरूर लिया जाता है। अलग अलग धर्म के होने के बाद भी दोनों का साथ सुखद है। खुद शाहरुख भी मानते हैं कि उनकी सफलता में एक बहुत बड़ा हिस्सा गौरी खान का भी है। आज शाहरुख और गौरी खान के तीन बच्चे आर्यन, अबराम और सुहाना हैं।

2. शाहरुख को गौरी से तब प्यार हुआ था जब उन्होंने गौरी को दिल्ली की एक सड़क पर जाते देखा था। वैसे आमतौर पर लोग शक्ल देख कर लोगों को पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शाहरुख गौरी के चेहरे पर नहीं बल्कि उनके पैरों पर फिदा हुए थे।

3. गौरी रिटायर्ड मेजर रमेश छिब्बा की बेटी हैं। गौरी का जन्म हिन्दू धर्म के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो शाकाहारी हैऔर कर्मकांडो में यकीन रखता है। यहां तक कि गौरी के घर में एक मंदिर भी बना हुआ था।

4. वहीं दूसरी ओर शाहरुख मुस्लिम। यानी ये रिश्ता तो होने से पहले ही खत्म हो गया था। लेकिन ये शाहरुख का प्यार ही था जिसने गौरी को अपनी पत्नी बना कर ही दम लिया।

5. गौरी दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएट है और इंडस्ट्री की सबसे स्टाइलिश औरत भो है। वे निर्देशक, फिल्म निर्माता और इंटीरियर डिज़ाइनर भी है।

नीचे की स्लाइड्स में पढिए, मिल्खा सिंह और गौरी की जिंदगी के बारें में -

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