मंगल अभियानः 15 महीनों से बिना छुट्टी के काम कर रहे थे वैज्ञानिक

बेंगलुरू। धरती से सर्वाधिक समानता रखने वाला लाल ग्रह हमेशा से इंसानों के लिए कौतूहल का विषय रहा है। मंगल की जमीन पर जीवन की संभावनाएं तलाशने के लिए अब तक कई मिशन अंजाम दिए गए पर अभी तक वहां जीवन के बारे में कुछ भी साफ नहीं कहा जा सकता है। मंगल के बारे में जानकारी लेने के जितने अभियान सफल रहे हैं उतने ही असफल भी रहे हैं। भारत का यह पहला आर्बिटर मिशन है। इस भारतीय मिशन पर अंतरिक्ष में भारत के प्रतिद्वंद्वी चीन समेत पूरी दुनिया की आंखें लगी हुई हैं।
करोड़ों रुपए की लागत वाले इस यान को मंगल की कक्षा में पहुंचने में ही करीब-करीब एक साल लगेगा। इसके लिए भारत के वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत की है। कई वैज्ञानिक तो रात-दिन सोए बिना और एक साल से ज्यादा समय से छुट्टी लिए बिना काम कर रहे हैं। आगे की स्लाइड्स में मंगल अभियान की तस्वीरों के साथ जानिए इस अभियान के बारे में दिलचस्प तथ्य-
खास टेक्नॉलजी का इस्तेमाल
इस अभियान की कुछ खास टेक्नॉलजी का इस्तेमाल दूसरे सैटलाइट्स में किया जाएगा , जिससे बचत होगी।
1. मंगलयान खुद की मरम्मत करने में सक्षम
2. पुर्जों को काफी छोटा रखा गया है , टाइम गैप हटाने को नया कम्यूनिकेशन सिस्टम
3. सूर्य से ऊर्जा हासिल करेगा , हालांकि मंगल पर सौर उर्जा की उपलब्धता काफी कम है
4. सेंसर के जरिये पूरे ग्रह पर मीथेन की तलाश होगी , जिससे जीवन के संकेत मिलेंगे
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