Health Tips: स्क्रीन की चमक में खोती नींद, डिजिटल लत से जूझ रहे टीनएजर्स

मोबइल का लगातार इस्तेमाल करता बच्चा
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डिजिटल लत से बच्चों की सेहत को नुकसान (Image: Grok)  

Health Tips: डिजिटल लत के कारण टीनएजर्स में नींद की कमी, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। जानिए इसके खतरे और बचाव के उपाय।

रात का सन्नाटा, घर में सब सो चुके हैं, लेकिन एक कमरा अब भी उजाला कर रहा है। उस कमरे में एक किशोर मोबाइल स्क्रीन की नीली रौशनी में डूबा है। कभी इंस्टाग्राम की रील्स, कभी यूट्यूब की विडियोज़, तो कभी गेमिंग की दुनिया में खोया हुआ वो बच्चा असल में खुद से, अपने समय से और सबसे अहम, अपनी नींद से दूर होता जा रहा है।

डिजिटल युग में जहां हर चीज़ स्मार्ट बन चुकी है, स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, स्मार्टटीवी, वहीं हमारे बच्चे धीरे-धीरे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। स्क्रीन की लत अब केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रही, यह अब एक गंभीर हेल्थ इश्यू का रूप ले चुकी है। नींद की कमी, आंखों में जलन, मानसिक तनाव, एकाग्रता में गिरावट और सामाजिक दूरी जैसी समस्याएं आज टीनएजर्स में आम हो गई हैं।

स्क्रीन टाइम और नींद का संबंध

जब बच्चे मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट पर ज्यादा समय बिताते हैं, खासकर रात में, तो उनकी नींद पर सीधा असर पड़ता है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जो नींद को नियंत्रित करता है। नींद देर से आती है और वह भी अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं होती।

डिजिटल लत के संकेत

  • बिना कारण बार-बार फोन चेक करना'
  • रात को लेट तक जागते रहना
  • पढ़ाई या खेलकूद में मन न लगना
  • चिड़चिड़ापन या बेचैनी
  • सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट्स को लेकर अत्यधिक सोच

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • मानसिक तनाव: स्क्रीन पर लगातार सक्रिय रहने से दिमाग को आराम नहीं मिल पाता, जिससे तनाव और चिंता बढ़ती है।
  • आंखों की समस्या: डिजिटल आई स्ट्रेन, आंखों में सूखापन और धुंधलापन आम है।
  • मोटापा: शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।
  • सामाजिक अलगाव: रियल लाइफ इंटरैक्शन की जगह वर्चुअल दुनिया हावी हो जाती है।

बचाव और हेल्थ टिप्स

  • डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: हर दिन एक तय समय पर सभी स्क्रीन बंद करें, खासकर सोने से एक घंटे पहले।
  • नाइट मोड का प्रयोग: मोबाइल या लैपटॉप में नाइट मोड ऑन करें ताकि नीली रौशनी कम हो।
  • असली बातचीत बढ़ाएं: बच्चों को फैमिली टाइम, आउटडोर एक्टिविटीज़ और हॉबीज़ की ओर प्रेरित करें।
  • सोने का समय तय करें: एक नियमित नींद शेड्यूल बनाएं और उसका पालन करें।
  • स्क्रीन फ्री जोन बनाएं: घर में कुछ स्थानों जैसे डाइनिंग एरिया और बेडरूम को स्क्रीन-फ्री ज़ोन घोषित करें।

स्क्रीन की चमक जितनी आकर्षक है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है अगर उसका इस्तेमाल संतुलित न हो। टीनएजर्स की डिजिटल लत को समय रहते समझना और रोकना बेहद जरूरी है, ताकि उनका भविष्य उज्जवल, सेहतमंद और सच्चे अर्थों में स्मार्ट बन सके। अपने बच्चों को नींद की रोशनी लौटाएं।

(Disclaimer): इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। यदि आपको या आपके बच्चे को नींद से जुड़ी कोई गंभीर समस्या या मानसिक तनाव महसूस हो रहा है, तो कृपया किसी योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

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