Health Tips: सोते वक्त फोन स्क्रॉल करना पड़ सकता है महंगा, जानिए इससे जुड़ी बीमारियां

पूरे दिन के थकान के बावजूद रात के वक्त सोने से पहले बिना फोन चालए हम जिंदगी जी ही नहीं पाते, थोडा सा रील्स स्कॉल कर लूं, ऐसा मन करता रहता है। ऐसे में नींद का समय निकल जाता है, आंखें थक जाती हैं और दिमाग ओवरएक्टिव हो जाता है। लेकिन मोबाइल पर देर रात तक स्क्रॉल करना, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, धीरे-धीरे नींद, मानसिक स्वास्थ्य और शरीर की कई प्रक्रियाओं पर बुरा असर डाल रहा है।
सोते वक्त स्क्रॉलिंग से होने वाली समस्याएं
नींद की गुणवत्ता में गिरावट
मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन को दबा देती है। इससे नींद आने में देरी होती है और नींद गहरी नहीं हो पाती। परिणामस्वरूप व्यक्ति सुबह थका-थका महसूस करता है।
अनिद्रा
अगर ये आदत रोज की हो जाए, तो यह शरीर की नींद की नैचुरल साइकिल को बिगाड़ देती है। धीरे-धीरे व्यक्ति को सोने में मुश्किल होती है और नींद पूरी न होने की वजह से तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
आंखों की समस्या
अंधेरे में स्क्रॉल करना आंखों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे आंखों में जलन, सूखापन और धुंधलापन महसूस हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
रात को सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना दिमाग को आराम नहीं लेने देता। एक के बाद एक कंटेंट देखने से दिमाग ओवरस्टिमुलेट हो जाता है, जिससे स्ट्रेस, एंग्जायटी और नेगेटिव सोच बढ़ सकती है।
गर्दन और पीठ दर्द
लेटे-लेटे फोन चलाने से गर्दन और रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे क्रॉनिक पेन या ‘टेक्स्ट नेक’ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इससे कैसे बचें?
सोने से कम से कम 30 मिनट पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं
मोबाइल की जगह किताब पढ़ें या रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें
रूम में कम रोशनी और शांत माहौल बनाएं
ब्लू लाइट फिल्टर या नाइट मोड का उपयोग करें
सोने का एक निश्चित समय तय करें और उसका पालन करें
मोबाइल हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसे कब और कैसे इस्तेमाल करना है, यह हमारी जिम्मेदारी है। सोने से पहले की गई थोड़ी सी सावधानी हमें बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकती है।
