Womens Day Special: हुमायूं का मकबरा से लेकर ताज-उल-मस्जिद तक! महिलाओं ने बनवाएं ये 8 ऐतिहासिक स्मारक

international Womens Day 2025 Special: Historic Monuments Built by Women; From Humayuns Tomb to Taj-
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Womens Day Special: हुमायूं का मकबरा से लेकर ताज-उल-मस्जिद तक! महिलाओं ने बनवाएं ये 8 ऐतिहासिक स्मारक।
Womens Day Special 2025: आज महिला दिवस के मौक़े पर एक नज़र उन ऐतिहासिक स्मारकों पर डालें, जिन्हें बनवाने के पीछे महिलाएं थीं।

Womens Day Special 2025: महिलाओं ने हमेशा अपने अद्वितीय योगदान से समाज और संस्कृति को समृद्ध किया है। आज महिला दिवस के खास मौके पर हम आपको उन ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में बताएंगे, जिनको बनवाने के पीछे महिलाएं थीं। इतिहास में कई ऐसे पल आए, जब महिलाओं ने न केवल परिवार और समाज की दिशा निर्धारित की, बल्कि अपने अद्वितीय कौशल और कड़ी मेहनत से ऐसे स्मारक बनाए, जो आज भी हमारे इतिहास और संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। दशकों बाद भी जब लोग इन स्मारकों को देखते हैं, तो नजरें हटती नहीं।

इन स्मारकों के निर्माण में महिलाओं की भूमिका न केवल स्थापत्य कला को बढ़ावा देने वाली रही है, बल्कि इनसे जुड़े ऐतिहासिक संदर्भ और उनके योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए। महिला दिवस पर हम इन स्मारकों और उनके रचनाकारों को सम्मानित करते हैं और उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को सलाम करते हैं।

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हुमायूं का मकबरा (Humayun's Tomb)
दिल्ली में स्थित हुमायूं का मकबरा, भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। इसे मुग़ल सम्राट हुमायूं की पत्नी, एत्माद-उद-दौला की बेटी हमिदा बानू बेगम ने बनवाया था। इस स्मारक का निर्माण 1565 में शुरू हुआ और 1572 में पूरा हुआ। यह मकबरा मुग़ल स्थापत्य कला में बदलाव का प्रतीक था और भारत में पहले बाग़ी मकबरों का एक प्रमुख उदाहरण है।

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Humayuns Tomb

ताज-उल-मस्जिद (Taj-ul-Masjid)
भोपाल की इस भव्य मस्जिद का निर्माण 19वीं सदी में सुल्ताना राज़िया द्वारा किया गया था, जो भोपाल के नलियार राजवंश की एक प्रमुख रानी थीं। यह मस्जिद एक प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक के रूप में आज भी अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यह मस्जिद भारतीय इस्लामिक वास्तुकला की बेमिसाल कृति मानी जाती है।

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taj-ul-masjid

कुतुब मीनार (Qutub Minar)
कुतुब मीनार, दिल्ली का प्रसिद्ध स्मारक, जिसे कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा बनवाया गया था, हालांकि इसे उनकी पत्नी नदीम बेगम ने अपने पति की याद में बनवाने के लिए प्रेरित किया था। कुतुब मीनार न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला की उच्चतम कृतियों में से एक मानी जाती है।

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Qutub Minar

जयपुर का हवा महल (Hawa Mahal)
राजस्थान के जयपुर में स्थित हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई Pratap Singh ने कराया था, लेकिन इसकी वास्तुकला और डिजाइन में उनकी पत्नी महारानी कृष्णा कुमारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। हवा महल के डिजाइन में उनकी रचनात्मकता और दृष्टिकोण की झलक देखने को मिलती है। इस महल का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं को सड़क से बिना देखे महल में रहते हुए बाहर के दृश्य का आनंद लेने का अवसर देना था।

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Jaipur Hawa Mahal

सारनाथ स्तूप (Sarnath Stupa)
उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित यह स्तूप बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसे महारानी माया देवी ने बनवाया था। यह स्तूप भगवान बुद्ध के पहले उपदेश का स्थल माना जाता है और आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक धार्मिक केंद्र है।

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Sarnath Stupa

एतमादुद्दौला, आगरा (itmad ud daulah ka maqbara)
रानी नूरजहां ने आगरा में स्थित एतमादुद्दौला का मकबरा बनवाया, जिसे ‘मिनी ताज महल’ भी कहा जाता है। यह मकबरा नूरजहां के पिता मीरजा़ ग़ियास बेग के लिए बनवाया गया था, जो मुघल साम्राज्य में उच्च पद पर थे और सम्राट अकबर के दरबार में एक प्रमुख सलाहकार थे।

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itmad ud daulah ka maqbara

नूरजहां का योगदान इस मकबरे की वास्तुकला में गहरा था। यह मकबरा मुघल स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण है, जिसमें संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। नूरजहां ने इसके निर्माण में अपनी कला और बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया, जिससे इस मकबरे की सुंदरता और वैभव को चार चांद लगे।

रानी की वाव (Queen's Stepwell)
रानी उदयामति ने गुजरात के पाटन में स्थित प्रसिद्ध रानी की वाव (Queen's Stepwell) का निर्माण कराया। यह वाव एक ऐतिहासिक जल संरचना है, जो मध्यकालीन भारत में जल प्रबंधन और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। रानी उदयामति ने इस वाव का निर्माण अपनी पति, राजा भीमदेव प्रथम की याद में किया था।

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Queen Stepwell

रानी की वाव को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसे भारतीय स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। यह वाव 7 मंजिलों तक जाती है और इसमें जटिल नक्काशी, शिल्पकला, और धार्मिक चित्रकला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। वाव में जल संचयन के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया गया, जो उस समय के जल संकट को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कार्य था। इसकी वास्तुकला और डिज़ाइन ने इसे विश्वभर में प्रसिद्ध कर दिया।

मिरजान किला, कर्नाटक (चेन्ना भैरदेवी उर्फ द पैपर क्वीन)
चेन्ना भैरदेवी उर्फ द पैपर क्वीन कर्नाटका के मिरजान किले की प्रसिद्ध शासिका थीं। मिरजान किला कर्नाटका के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है और यह किला समुद्र के पास स्थित है, जिससे यह किला सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

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MIRJAN FORT

चेन्ना भैरदेवी ने इस किले की पुनर्निर्माण और सुरक्षा का कार्य किया, और इसके संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक साहसी और युद्धकुशल रानी के रूप में जानी जाती थीं। उन्हें 'द पैपर क्वीन' (The Paper Queen) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने किले की रक्षा के लिए युद्ध कला के अलावा, कागज के दस्तावेजों और रणनीतियों का भी इस्तेमाल किया। उनकी शासकनी कौशल और वीरता ने किले को अनेक आक्रमणों से बचाया।

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