Health Tips: परेशानी में खा रहे हैं बार-बार खाना, हो जाएं सावधान! बन सकती है फैटी लिवर की वजह

Health Tips: अक्सर कई लोगों में टेंशन में तला-भुना या मीठा खाने की आदत होती है। जिसके कारण जब भी वे गुस्से, उदासी या फिर थके हुए होते हैं, तो खाने की क्रेविंग बढ़ जाती है, जिसे इमोशनल ईटिंग कहते हैं। दरअसल, जब हम भूख लगने पर नहीं, बल्कि भावनात्मक तनाव, बोरियत, चिंता या उदासी की वजह से खाना खाते हैं, तो उसे इमोशनल ईटिंग कहा जाता है।
इसमें अक्सर लोग जंक फूड, मिठाइयां या हाई-कैलोरी स्नैक्स का सहारा लेते हैं, जो कुछ समय के लिए सुकून देते हैं, लेकिन शरीर पर इसका असर बहुत खराब होता है। तो अगर आपको भी इमोशनल ईटिंग की आदत है, तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह आपके लिवर के लिए खतरा बन सकती है। आइए जानते हैं इसके नुकसानों के बारे में।

इमोशनल ईटिंग और फैट का कनेक्शन
1. तनाव में खाया गया खाना आमतौर पर तला-भुना या मीठा होता है, जो शरीर में फैट जमा करता है खासकर लिवर में।
2. लगातार तनाव और गलत खान-पान से लिवर की कोशिकाएं फैट को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पातीं, जिससे Non-Alcoholic Fatty Liver की समस्या हो जाती है।
3. इमोशनल ईटिंग शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है, जिससे वजन बढ़ता है और लिवर पर प्रेशर पड़ता है।
4. ज्यादा मीठा खाने से शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ती है, जो फैटी लिवर का एक बड़ा कारण है।
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बचाव कैसे करें?
- जब भी खाने का मन करे तो खुद से पूछें क्या मैं सच में भूखा हूं या सिर्फ भावनात्मक कारण से खाना चाहता हूं।
- कब और क्यों खा रहे हैं, इस बात का ध्यान जरूर रखें।
- स्ट्रेस के समय फ्रूट्स, नट्स, या नारियल पानी जैसे हेल्दी चीजों का सेवन करें।
- योग, मेडिटेशन और वॉक से स्ट्रेस को मैनेज करें।
- अगर आदत कंट्रोल से बाहर हो तो किसी काउंसलर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें।