Milk Vs Paneer: पनीर खाना ज्यादा बेहतर है या दूध पीना? 5 बिंदुओं से समझ लें किसमें कितना है दम

पनीर और दूध के फायदे।
Milk Vs Paneer: दूध और पनीर दोनों ही कैल्शियम, प्रोटीन और जरूरी न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं, लेकिन जब बात आती है सेहत को ज्यादा फायदा पहुंचाने की, तो कई बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि रोज दूध पीना बेहतर है या पनीर खाना? खासकर फिटनेस और हेल्थ को लेकर सजग लोग इस कन्फ्यूजन में रहते हैं कि क्या चुनें जिससे हड्डियां मजबूत हों, मसल्स बने और पाचन भी दुरुस्त रहे।
दूध को सुपरफूड कहा जाता है तो पनीर को प्रोटीन का पावरहाउस। लेकिन दोनों में से कौन-सा विकल्प शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी उम्र, जरूरत और लाइफस्टाइल कैसी है। यहां हम 5 बिंदुओं के ज़रिए आपको बताएंगे कि दूध और पनीर में कौन-सी चीज़ कहां बाज़ी मारती है।
1. प्रोटीन कंटेंट: मसल्स बनाने वालों के लिए क्या सही?
पनीर में दूध की तुलना में अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है। 100 ग्राम पनीर में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि 1 कप दूध में लगभग 8 ग्राम प्रोटीन होता है। अगर आप मसल्स बनाना चाहते हैं या हाई-प्रोटीन डाइट ले रहे हैं, तो पनीर ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
2. कैल्शियम के मामले में कौन है आगे?
कैल्शियम हड्डियों और दांतों के लिए जरूरी होता है। दूध में पनीर की तुलना में ज्यादा मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। 1 कप दूध में लगभग 300 मिलीग्राम कैल्शियम होता है जबकि 100 ग्राम पनीर में 208 मिलीग्राम। इसलिए हड्डियों की मजबूती के लिए दूध पीना ज्यादा बेहतर है।
3. पाचन के लिहाज से क्या है सही विकल्प?
पनीर में फैट और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसका पाचन थोड़ा धीमा होता है। दूध का पाचन तुलनात्मक रूप से आसान होता है। जिन लोगों को कब्ज या गैस की समस्या है, उनके लिए दूध बेहतर विकल्प हो सकता है।
4. वजन कम करना हो तो किसे चुनें?
फुल क्रीम दूध और फुल फैट पनीर दोनों ही वजन बढ़ा सकते हैं, लेकिन लो-फैट पनीर एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। प्रोटीन से भरपूर होने के कारण पनीर देर तक पेट भरा रखता है। वजन कम करने वालों के लिए पनीर सीमित मात्रा में फायदेमंद है।
5. लैक्टोज इंटोलरेंस वालों के लिए क्या सेफ है?
जिन लोगों को दूध से एलर्जी होती है (लैक्टोज इंटोलरेंस), उनके लिए पनीर एक बेहतर विकल्प है। क्योंकि पनीर बनाने में दूध का लैक्टोज कंटेंट काफी हद तक खत्म हो जाता है।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है. हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
