Winter Blues: सर्दी में डिप्रेशन और सुस्ती महसूस होती है? 5 तरीकों से दूर कर सकते हैं ये परेशानी

विंटर ब्लूज़ से बचने के कारगर तरीके।
Winter Blues: ठंड शुरू होते ही कई लोगों को अजीब-सी थकान, मूड खराब रहना, किसी काम में मन न लगना और दिनभर नींद-सी आने की परेशानी महसूस होती है। यह सिर्फ मौसम का असर नहीं, बल्कि एक मानसिक स्थिति होती है जिसे विंटर ब्लूज कहा जाता है। यह हल्का-फुल्का डिप्रेशन है, जो खासकर उन महीनों में बढ़ता है जब सूरज कम निकलता है और दिन छोटे होने लगते हैं।
विंटर ब्लूज एक आम समस्या है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। शरीर में कम धूप मिलने के कारण मेलाटोनिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे मूड डाउन, चिड़चिड़ापन, ऑयल फूड की क्रेविंग और लो एनर्जी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। कुछ आदतें अपनाकर आप इस समस्या से आसानी से बाहर निकल सकते हैं।
विंटर ब्लूज़ से बचने के उपाय
रोज कम से कम 20 मिनट धूप लें: सूरज की रोशनी मूड को अच्छा करने वाले सेरोटोनिन हार्मोन को बढ़ाने में मदद करती है। सुबह की हल्की धूप सबसे ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है। धूप लेने से सुस्ती कम होती है और एनर्जी लेवल पूरे दिन बना रहता है।
एक्टिव रहें, हल्का वर्कआउट जरूर करें: सर्दियों में लोग कंबल में घुसकर बैठे रहना पसंद करते हैं, लेकिन यही आदत सुस्ती को और बढ़ाती है। रोज 20–30 मिनट की वॉक, योगा या स्ट्रेचिंग भी मूड सुधारने में बड़ा रोल निभाती है। एक्सरसाइज एंडॉर्फिन बढ़ाती है, जो नेचुरल मूड-लिफ्टर है।
हेल्दी डाइट अपनाएं, शुगर से दूरी रखें: विंटर ब्लूज में लोग जंक या मीठा ज्यादा खाते हैं, जिससे शुरुआत में अच्छा महसूस होता है लेकिन बाद में थकान बढ़ जाती है। भोजन में ओट्स, नट्स, फल, हरी सब्जियां और प्रोटीन वाले फूड शामिल करें। विटामिन D और B12 युक्त चीजें मूड पर अच्छा असर डालती हैं।
सोशल कनेक्शन बनाए रखें: ठंड में लोग बाहर निकलना कम कर देते हैं, जिससे अकेलापन और डिप्रेशन के लक्षण गहरे हो सकते हैं। परिवार या दोस्तों से बातचीत, हल्की मीटिंग, या किसी हॉबी क्लास में शामिल होना मानसिक ऊर्जा बनाए रखता है।
पर्याप्त नींद लें और सोने का रूटीन बनाएं: दिन छोटे होने के कारण शरीर का मेलाटोनिन स्तर बदल जाता है, जिससे नींद गहरी नहीं आती। रोज एक ही समय पर सोना और उठना, स्क्रीन टाइम कम करना और रात को हल्की वॉक लेने से नींद बेहतर होती है और मूड में सुधार आता है।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
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