प्रोस्टेट कैंसर: पुरुषों के लिए जरूरी जानकारी, लक्षण, जांच और इलाज

prostate cancer
Prostate Cancer: क्या आप जानते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर अब भारतीय पुरुषों में सबसे तेजी से फैलने वाला कैंसर बन गया है, उसके बावजूद इसके बारे में सबसे कम चर्चा होती है? प्रोस्टेट कैंसर की जांच कराने के लिए पहला कदम उठाना ही सबसे बड़ी चुनौती है, जिसके लिए शायद कोई भी पुरुष तैयार ना हो। इसमें दो राय नहीं है कि ये मामला बहुत ही नाज़ुक है, फिर भी जागरूकता की कमी और इस बीमारी से जुड़े कलंक के कारण ज़्यादातर पुरुष इस बारे में अनजान हैं और इस बारे में खुलकर बात करने से झिझकते हैं।
भारतीय पुरुषों को इलाज की दिशा में पहला कदम उठाने और इलाज के बाद सेहतमंद जिंदगी बिताने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। समाज के इस कलंक को दूर करने का सबसे बेहतर तरीका ये है कि इस बीमारी के बारे में सब कुछ जान लिया जाए और इससे जुड़े भ्रम को दूर किया जाए।
ये मत भूलिए कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2020 से 10 मिलियन मौतों के साथ यह बीमारी पूरी दुनिया में होने वाली मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, और इस बीमारी को पूरी तरह ठीक करने के लिए सही समय पर इलाज करवाना सबसे ज्यादा मायने रखता है। भारत के साथ-साथ दुनिया भर में इस क्षेत्र में टेक्नोलॉजी में काफी प्रगति हुई है, जिसने दुनिया भर के पुरुषों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है क्योंकि अगर प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआत में ही पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है।
तो, नीचे वो सब कुछ बताया गया है जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए:
प्रोस्टेट कैंसर आखिर है क्या?
पुरुषों के प्रजनन तंत्र में वीर्य, यानी सेमिनल फ्लूइड बनाने वाली ग्रंथि को प्रोस्टेट कहते हैं। यह पुरुषों में होने वाला सबसे सामान्य और बहुत धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है, जिसमें इस ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती हैं, लेकिन अगर इसका जल्दी पता लग जाए तो इसे लगभग पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में पेशाब या वीर्य में खून आना, पेशाब करने में परेशानी और यौन अक्षमता शामिल हैं, और तब आप खुद से यह सवाल पूछते हैं कि, ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ? आप शायद बढ़ती उम्र, परिवार में पहले भी ये बीमारी होने या लाइफस्टाइल को इसकी वजह मान सकते हैं। भले ही हम यह नहीं बदल सकते कि 'ऐसा क्यों हुआ', परंतु हम इस बात में महारत हासिल कर सकते हैं कि सही समय पर सही इलाज 'कैसे' मिले।
चरण 1: प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) नामक खून की एक साधारण जांच से कैंसर की संभावना को खारिज करें।
टेक्नोलॉजी में प्रगति से इलाज की सफलता दर कैसे बढ़ी है?
बीते 10 सालों में, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन ने इस बीमारी की जाँच और इलाज को पूरी तरह से बदल दिया है। दुनिया भर के वैज्ञानिक प्रोस्टेट कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। सर्जरी, रेडिएशन और हार्मोन थेरेपी से लेकर एडवांस्ड एआई की मदद से होने वाले एनालिटिक्स, तथा सेवाओं एवं प्रोडक्ट्स तक, विज्ञान यह सुनिश्चित करता है कि हर दिन इस दिशा में प्रगति के बारे में अच्छी ख़बरें मिलें। हमारे पास एआई है जो बड़े पैमाने पर मेडिकल डेटा का विश्लेषण करके छिपे हुए पैटर्न का पता लगाता है, और मरीजों के लिए अलग-अलग पूर्वानुमान देता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा-कर्मियों के लिए डायग्नोसिस करना पहले से कहीं ज्यादा तेज़, अधिक सटीक और जोखिम-मुक्त हो गया है।
इसी तरह, TULSA-PRO जैसे बहुत कम चीर-फाड़ वाले इलाज के तरीके चिकित्सा जगत के साथ-साथ मरीज़ों के लिए नई उम्मीद जगा रहे हैं। उपचार के इस तरीके को प्रोस्टेट कैंसर के लिए कस्टमाइज किया जा सकता है, जो चीर-फाड़ और रेडिएशन के बिना, रोबोट की मदद से और MRI-निर्देशित होता है।
TULSA-PRO (टुल्सा प्रो) (ट्रांसयूरेथ्रल अल्ट्रासाउंड एब्लेशन) में इलाज के समय MRI का सहारा लिया जाता है और किसी चीरे या रेडिएशन के बिना अल्ट्रासाउंड एनर्जी की मदद से प्रोस्टेट टिश्यू को सटीकता से निशाना बनाकर नष्ट किया जाता है। कम साइड इफेक्ट के साथ-साथ ठीक होने में कम समय लगने की वजह से मरीज़ कुछ ही दिनों में फिर से पहले की तरह अपनी जिंदगी बिताने लगते हैं।
अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि, TULSA PRO सिस्टम मरीजों में इरेक्टाइल फंक्शन बनाए रखने के साथ-साथ मूत्र पर नियंत्रण में भी मदद कर सकती है।
TULSA-PRO तकनीक को FDA ने स्वीकृति दी है, जिसमें पूरे प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने, रेडिएशन थेरेपी के असफल मामलों और ग्रंथि को आंशिक रूप से (फोकल-सबटोटल ग्लैंड) को हटाने के उपचार विकल्प उपलब्ध हैं।
एक तरफ वैज्ञानिक बिरादरी ने इस क्षेत्र में नई राह दिखाने वाला कार्य जारी रखा है, वहीं दूसरी ओर पुरुषों की भी यह ज़िम्मेदारी है कि वे इस क्षेत्र में हो रही प्रगति के बारे में जानकारी रखें और लक्षणों की शुरुआत में ही डॉक्टर को बताएं। यह उन लोगों के लिए खास तौर पर जरूरी है, जिनके परिवार में पहले भी किसी को प्रोस्टेट कैंसर हो चुका हो। इसके लिए समय-समय पर जांच कराना बेहद ज़रूरी है, लेकिन सामान्य चेकअप और प्रोस्टेट कैंसर के लिए विशेष परीक्षणों के बीच का अंतर जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
लेखक: अनीश कौशल, सीईओ, मेडेकोम वेंचर्स
