कोरोनाकाल में जिसने संभाली थी सेहत की कमान, क्या अब भी कर रहे हैं इस्तेमाल?

कोरोनाकाल में जिसने संभाली थी सेहत की कमान, क्या अब भी कर रहे हैं इस्तेमाल?
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कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश हर घर की जरूरत बन गया था। क्या अब भी आप इसे अपने रूटीन में शामिल कर रहे हैं या भूल चुके हैं इसका महत्व?

कोरोना काल एक ऐसा वक्त था, जब हर इंसान सिर्फ एक चीज चाहता था, मजबूत इम्यूनिटी। मास्क, सैनिटाइज़र और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ एक घरेलू नाम ने उस समय हमारे दिलों में खास जगह बना ली थी, च्यवनप्राश। सुबह की शुरुआत हो या रात का आराम, च्यवनप्राश खाने की आदत बन गई थी। लेकिन जैसे-जैसे कोरोना का खतरा कम हुआ, क्या हमने फिर से पुरानी आदतों को छोड़ दिया?

कोरोना काल में च्यवनप्राश का महत्व

कोविड-19 के दौरान लोगों ने इम्यूनिटी बूस्टर की तलाश में च्यवनप्राश की ओर रुख किया।

सर्दी-खांसी से बचाव करता है।

थकावट कम करता है और एनर्जी बढ़ाता है।

क्या अब भी जरूरी है च्यवनप्राश?

सिर्फ कोरोना ही नहीं, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव, खानपान की गड़बड़ी और बढ़ता प्रदूषण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर रहे हैं। ऐसे में च्यवनप्राश एक नेचुरल शील्ड की तरह काम करता है।

च्यवनप्राश के नियमित सेवन से मिलते हैं ये फायदे

इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

त्वचा को चमक और मजबूती मिलती है

बालों के झड़ने की समस्या में राहत

स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है

पाचन क्रिया बेहतर होती है

थकान और कमजोरी में कमी आती है

कब और कैसे करें सेवन?

रोज सुबह खाली पेट एक या दो चम्मच च्यवनप्राश गुनगुने दूध या पानी के साथ लें।

बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी इसका सेवन कर सकते हैं।

सर्दियों में इसका असर और भी बेहतर होता है, लेकिन सालभर इसका सेवन फायदेमंद रहता है।

जिस च्यवनप्राश ने कोरोना जैसे कठिन समय में हमारी सेहत की डोर थामी थी, वो आज भी उतना ही कारगर है। फर्क बस इतना है कि तब डर ने हमें जागरूक किया था और अब आदतों में लापरवाही हमें कमजोर बना सकती है। तो क्यों न एक बार फिर से अपनी सेहत की कमान खुद संभालें और च्यवनप्राश को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें। ताकि हम सिर्फ बीमारियों से नहीं, बल्कि एक बेहतर, ऊर्जावान जीवन से जुड़ सकें।

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