Plastic Bottle Water: लिवर के लिए दुश्मन साबित हो सकता है प्लास्टिक बोतल का पानी! 5 नुकसान जानकर चौंक जाएंगे

प्लास्टिक बोतल में पानी पीने के 5 बड़े नुकसान।
Plastic Bottle Water: आज के दौर में जब हर जगह मिनरल वॉटर की प्लास्टिक बोतलें आसानी से उपलब्ध हैं, लोग इसे सेहतमंद विकल्प मानकर बेहिचक पीते हैं। ट्रैवल हो, ऑफिस या कोई फंक्शन प्लास्टिक बोतल का पानी अब जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर, खासतौर पर लिवर के लिए खतरनाक बन सकती है? शोध बताते हैं कि प्लास्टिक बोतलों में मौजूद जहरीले रसायन जैसे बिस्फेनॉल ए (BPA) और माइक्रोप्लास्टिक्स पानी के जरिए शरीर में पहुंचते हैं और अंगों को प्रभावित करने लगते हैं। य
प्लास्टिक बोतल का पानी सिर्फ लिवर ही नहीं, हार्मोनल सिस्टम, पाचन, इम्यूनिटी और यहां तक कि ब्रेन डिवेलपमेंट तक पर असर डाल सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे ऐसे 5 नुकसान, जो प्लास्टिक बोतल का पानी पीने से आपकी सेहत पर हो सकते हैं।
प्लास्टिक बोतल में पानी पीने के नुकसान
लिवर हो सकता है डैमेज
हाल के मेडिकल रिसर्च बताते हैं कि प्लास्टिक की बोतलों में लंबे समय तक रखा गया पानी लिवर के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है। इन बोतलों में मौजूद हानिकारक केमिकल—जैसे BPA (बिस्फेनॉल ए) और फ्थेलेट्स—पानी के ज़रिए शरीर में पहुंचते हैं और धीरे-धीरे लिवर की कोशिकाओं को प्रभावित करने लगते हैं। इससे लिवर में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और कार्यक्षमता में गिरावट देखी जाती है। लगातार इसका सेवन गंभीर बीमारियों जैसे फैटी लिवर और लिवर सिरोसिस का खतरा बढ़ा सकता है।
हार्मोनल असंतुलन का कारण
प्लास्टिक की बोतलों में पाए जाने वाला BPA शरीर के हार्मोन सिस्टम को डिस्टर्ब कर सकता है। यह एंडोक्राइन सिस्टम पर असर डालता है, जिससे थायरॉइड, प्रजनन क्षमता और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। महिलाओं में पीरियड्स संबंधी गड़बड़ी और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी जैसे मामले सामने आए हैं।
ब्रेन डेवलपमेंट पर भी असर संभव
विशेषज्ञों के अनुसार, प्लास्टिक पानी में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक तत्व बच्चों के दिमागी विकास पर भी असर डाल सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह भ्रूण के न्यूरोलॉजिकल विकास में बाधा डाल सकता है। इससे बच्चों में व्यवहारिक समस्याएं और सीखने की क्षमता पर असर देखा गया है।
कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई मेडिकल जर्नल्स के अनुसार, प्लास्टिक से निकलने वाले कुछ रसायन कैंसरजन्य (carcinogenic) हो सकते हैं। लंबे समय तक इनका सेवन शरीर में जहरीले तत्वों के जमाव का कारण बनता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का खतरा बढ़ता है।
शरीर के साथ पर्यावरण के लिए भी घातक
प्लास्टिक बोतलों को जब बार-बार इस्तेमाल किया जाता है या गर्म वातावरण में रखा जाता है, तो ये टूटने लगती हैं और माइक्रोप्लास्टिक कण पानी में घुलने लगते हैं। ये कण न सिर्फ पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी कमजोर कर देते हैं। लगातार इनके सेवन से शरीर में सूजन की स्थिति बनी रह सकती है।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।)
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