Sleep Habits: रातभर करवटें बदलते हैं? जानिए नींद न आने के 5 बड़े कारण, इन तरीकों से करें सुधार

5 कारणों से नींद न आने की समस्या होती सकती है।
Sleep Habits: क्या आप भी रात में देर तक करवटें बदलते रहते हैं या सुबह उठने के बाद भी थकान महसूस करते हैं? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। आज की तेज़-रफ्तार ज़िंदगी में अच्छी और गहरी नींद लेना एक चुनौती बन गया है। मोबाइल स्क्रीन, तनाव और बदलती जीवनशैली ने हमारे स्लीप पैटर्न को पूरी तरह बिगाड़ दिया है।
नींद की कमी न सिर्फ अगले दिन की थकान या चिड़चिड़ापन लाती है, बल्कि लंबे समय में हार्ट डिजीज, डायबिटीज, मोटापा और डिप्रेशन जैसी समस्याओं की जड़ भी बन सकती है। जानते हैं 5 प्रमुख कारण जो आपकी नींद में खलल डाल रहे हैं।
नींद न आने की 5 वजहें और समाधान
तनाव और चिंता
काम का दबाव, रिश्तों की दिक्कतें या भविष्य की फिक्र ये सब हमारे दिमाग को सोने से पहले भी सक्रिय रखती हैं। तनाव के कारण कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ जाता है, जो शरीर को फाइट या फ्लाइट मोड में रखता है। जिसकी वजह से दिमाग शांत नहीं होता और नींद गायब हो जाती है।
सुधार: सोने से पहले ध्यान या गहरी सांसों के व्यायाम करें। मोबाइल और काम से दूरी बनाएं ताकि दिमाग को आराम मिले।
असमय नींद की आदत
अनियमित सोने का समय, दिन में झपकी लेना या बेडरूम का अनुचित माहौल नींद की लय बिगाड़ देता है।
सुधार: रोज़ाना एक निश्चित समय पर सोने-उठने का नियम बनाएं। बेडरूम को शांत, ठंडा और अंधेरा रखें। बिस्तर पर मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें।
सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल
फोन या लैपटॉप की नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को दबा देती है, जिससे नींद आने में देर लगती है।
सुधार: सोने से एक घंटा पहले सभी स्क्रीन बंद कर दें। उसकी जगह किताब पढ़ें या हल्का संगीत सुनें। चाहें तो ब्लू लाइट फिल्टर चश्मा इस्तेमाल करें।
कैफीन, निकोटीन और देर रात का खाना
कैफीन और निकोटीन जैसे उत्तेजक पदार्थ आपके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय रखते हैं। वहीं भारी या मसालेदार खाना अपच और एसिडिटी बढ़ाकर नींद में बाधा डालता है।
सुधार: शाम के बाद चाय-कॉफी या स्मोकिंग से बचें। रात का खाना हल्का रखें और सोने से 2–3 घंटे पहले खाएं।
शारीरिक गतिविधि की कमी
दिनभर निष्क्रिय रहने से शरीर में थकान नहीं बनती, जिससे नींद गहरी नहीं आती। वहीं देर रात एक्सरसाइज़ करने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जो नींद को प्रभावित करता है।
सुधार: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट टहलना या योग करें। ध्यान रखें कि वर्कआउट सोने के समय से कम से कम 4 घंटे पहले खत्म हो।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
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लेखक: (कीर्ति)
