Slipped Disc: 4 वजहों से हो सकती है स्लिप डिस्क की समस्या, बीमारी उभरने पर पांच बातों का रखें ख्याल

स्लिप डिस्क की समस्या होने के 4 कारण।
Slipped Disc Causes and Precautions: आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली, घंटों बैठकर काम करना और शरीर की गलत मुद्रा (posture) स्लिप डिस्क जैसी गंभीर समस्या को जन्म दे रही है। यह समस्या पहले सिर्फ बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह युवाओं और ऑफिस वर्कर्स में भी तेजी से बढ़ रही है। स्लिप डिस्क (Slip Disc) को मेडिकल लैंग्वेज में हर्निएटेड डिस्क भी कहा जाता है। इसमें रीढ़ की हड्डियों के बीच मौजूद डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है और तेज दर्द, सुन्नपन या कमजोरी महसूस होती है।
स्लिप डिस्क होने पर पीठ, गर्दन, कमर या पैरों में असहनीय दर्द हो सकता है, जो धीरे-धीरे शरीर की मूवमेंट को भी प्रभावित करता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब व्यक्ति किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी या काम करने में असमर्थ हो जाता है। इसलिए इस समस्या को नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं। आइए जानते हैं स्लिप डिस्क की वजहें और इससे जुड़ी जरूरी सावधानियों के बारे में।
स्लिप डिस्क की मुख्य वजहें
गलत बैठने या उठने का तरीका:
लंबे समय तक गलत पोजिशन में बैठना, झुककर काम करना या अचानक भारी वजन उठाना स्लिप डिस्क की सबसे आम वजहों में से एक है।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता:
अत्यधिक वजन रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे डिस्क पर तनाव बढ़ता है। साथ ही, व्यायाम की कमी से रीढ़ की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
बढ़ती उम्र:
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क में मौजूद जल तत्व सूखने लगते हैं और वह लचीलापन खो बैठती है, जिससे वह आसानी से खिसक सकती है।
आनुवंशिक कारण:
कई बार स्लिप डिस्क की समस्या परिवार में भी देखने को मिलती है, यानी यह जेनेटिक भी हो सकती है।
स्लिप डिस्क में बरतें ये जरूरी सावधानियां
सही पोश्चर अपनाएं:
बैठते समय रीढ़ सीधी रखें और कुर्सी पर पूरा सपोर्ट लें। लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल गर्दन झुकाकर न करें।
वजन नियंत्रित रखें:
स्वस्थ डाइट और नियमित व्यायाम से शरीर का वजन संतुलित रखें ताकि रीढ़ पर दबाव न पड़े।
हाई हील्स और भारी सामान से बचें:
लंबे समय तक हाई हील पहनना या अचानक भारी वस्तु उठाना स्लिप डिस्क को और बढ़ा सकता है।
फिजियोथेरेपी और स्ट्रेचिंग करें:
डॉक्टर की सलाह से फिजियोथेरेपी या पीठ की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें, जिससे मांसपेशियों में लचीलापन बना रहे।
आराम और नींद का ध्यान रखें:
सही गद्दे और तकिए का उपयोग करें ताकि रीढ़ की सही स्थिति बनी रहे। नींद पूरी न होने से रिकवरी में देरी हो सकती है।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
