विवादों के साए में रहा कोयला क्षेत्र, पढिए विस्‍तृत रिपोर्ट

विवादों के साए में रहा कोयला क्षेत्र, पढिए विस्‍तृत रिपोर्ट
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फैसले से प्रभावित होने वाली प्रमुख कंपनियों में जिंदल स्टील, एस्सार पावर, जीवीके तथा जेएसडब्ल्यू स्टील हैं।

नई दिल्‍ली. यूं तो कच्चे माल में कोयला सबसे अनाकर्षक खनिज माना जा सकता है लेकिन बीते साल यह सरकार व कंपनी जगत के लिए सबसे महंगा और सबसे अधिक चर्चा का विषय बना रहा। इस क्षेत्र से लाखों करोड़ रुपए का निवेश जुड़ा हुआ है और आगामी साल में भी इसके चर्चा में बने रहने की संभावना है। उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में 1993 से आंवटित 204 कोयला खानों का आवंटन रद्द कर दिया। न्यायालय ने इन आवंटनों को दोषपूर्ण करार दिया। इस फैसले से प्रभावित होने वाली प्रमुख कंपनियों में जिंदल स्टील, एस्सार पावर, जीवीके तथा जेएसडब्ल्यू स्टील है।

नवीन जिंदल की अगुवाई वाली जिंदल स्टील एंड पावर को 10 अरब डालर की की परियोजना बंद करनी पड़ी। इस क्षेत्र में कथित घोटाले तथा विवादों का असर लंबा होता दिखा और यह सारा घोटाला ‘कोलगेट’ के रूप में चर्चा में आया। प्रभावित कंपनियों ने कहा कि उन्होंने कोयला ब्लाकों में तीन लाख करोड़ रुपए तथा संयंत्रों में चार लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है।

उन्होंने शिकायत की कि कोयला ब्लाकों के आवंटन रद्द होने से बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की आपूर्ति बाधित होगी। यह फैसला ऐसे समय में आया जबकि देश हर घर को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। कंपनी जगत का कहना है कि इस घटनाक्रम से निवेश धारणा पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ेगा। सरकारी अंकेक्षक कैग ने इससे पहले अनुमान लगाया था कि 57 कोयला ब्लाकों का आंवटन प्रतिस्पर्धी बोली के बिना ही किए जाने से सरकारी खजाने को अनुमानित: 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

ई-नीलामी का विरोध: न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद ही सरकार ने प्रभावित कोयला खानों के नए सिरे से आवंटन ‘पारदर्शी’ ई नीलामी प्रक्रिया के जरिए कराने के लिए अध्यादेश पेश किया। लेकिन इस आशय का विधेयक अटक गया है और अध्यादेश को फिर से लाने की जरूरत पड़ सकती है। वामदलों तथा कुछ ट्रेड यूनियनों ने कोयला खानों की ई-नीलामी का विरोध किया है। कोयल मंत्री पीयूष गोयल ने इन आशंकाओं को खारिज किया है कि सरकार के इस कदम से कोयला क्षेत्र के निजीकरण की राह खुलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार वस्तुत: कोल इंडिया लिमिटेड को मजबूत कर रही है। नई सरकार ने कहा है कि वह कोल इंडिया लिमिटेड का उत्पादन मौजूदा 46.2 करोड़ टन से बढाकर 2019 तक एक अरब टन करेगी।

नीचे की स्लाइड्स में जानिए,कोल आवंटन से जुड़ी खास बातें -
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