जाटलैंड की पांचों सीटें बनीं इनेलो के लिए चुनौती, पिछली बार था पांचों सीटों पर कब्जा

जाटलैंड की पांचों सीटें बनीं इनेलो के लिए चुनौती, पिछली बार था पांचों सीटों पर कब्जा
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शिक्षक भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला कानूनी गिरफ्त में हैं। जिससे उनका चुनाव प्रचार में आना नामुमकिन है।
जींद. साल 2009 में जींद जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने वाली इनेलो पार्टी के लिए इस बार उसी कामयाबी को दोहराना अपने आप में चुनौती बना हुआ है। जाटलैंड में आने वाले जींद जिले को शुरू से ही इनेलो का गढ़ माना जा रहा है लेकिन इस बार यह गढ़ दरकता दिखाई दे रहा है। जिसका मुख्य कारण है इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व उसके पुत्र डबवाली के विधायक डा. अजय सिंह चौटाला का चुनाव प्रचार में न होना।
क्योंकि जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला कानूनी गिरफ्त में हैं। जिसके चलते उनका चुनाव प्रचार में आना नामुमकिन है और उसी के चलते जब इनेलो ने अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी तो उसमें बगावत के सुर भी जींद जिले से ही उठे थे और सबसे पहले जिले में इनेलो की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले पूर्व सांसद व इनेलो जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बरवाला ने पार्टी को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
दूसरा मुख्य कारण है जींद जिले में मुख्यमंत्री का आवागमन और जींद में जहां मुख्यमंत्री ने चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय स्थापित कर विकास कार्यों की महक जिले के लोगों को दी और उसके बाद जिले की प्रमुख बिनैण खाप ने जहां मुख्यमंत्री का स्वागत किया वहीं कंडेला खाप से भी मुख्यमंत्री का प्रेम जगजाहिर है और यहां मुख्यमंत्री ने कंडेला खाप के चबूतरे के लिए एक करोड़ रुपये की राशि भी अनुदान स्वरूप दी है।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, पिछली बार के मुकाबले क्या हैं इनेलो के पास चुनौती-
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