एनसीपीसीआर ने एचआरडी मंत्रालय से की सिफारिश, मनमानी फीस पर लगे लगाम

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By - haribhoomi.com |15 Sept 2014 6:30 PM
मौजूदा समय में गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की ओर से मनमाना शुल्क लिया जा रहा है
नई दिल्ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी अपनी सिफारिशों में स्कूलों के बुनियादी ढांचे एवं शिक्षा की गुणवत्ता की गंभीर कमी के विषय भी उठाते हुए ऐसी व्यवस्था बनाने की मांग की है जिसमें शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कोई भी बच्चा गुणवत्ता वाली शिक्षा से वंचित नहीं रह सके। आयोग की अध्यक्ष कुशल सिंह ने बीते 11 सितंबर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संदर्भ में ऐसी संस्था गठित करने की सिफारिश की है।
इस पत्र में कुशल ने शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम-2009 के तहत शिक्षा के संदर्भ में बाल अधिकार सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और इसे विशुद्ध रूप से पैसे बनाने की इकाइयों में तब्दील करके पतित नहीं किया जा सकता। मौजूदा समय में गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की ओर से मनमाना शुल्क लिया जा रहा है और इसका स्कूलों के बुनियादी ढांचे एवं शिक्षा की गुणवत्ता से कोई वास्ता नहीं है।
एनसीपीसीआर की अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा कि ये स्कूल (गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल) उन दूसरी गतिविधियों के नाम पर भी अतिरिक्त पैसे ले रहे हैं जो शिक्षा के संपूर्ण दायरे में आती हैं। बिजली के बिल जैसी बुनियादी ढांचे से जुड़ी कुछ जरूरी सेवाओं के लिए शुल्क के निर्धारण को लेकर एक नियामक व्यवस्था होगी तो गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को शिक्षा के बुनियादी अधिकार के लिए अत्यधिक और तर्कहीन ढंग से शुल्क लेने की इजाजत नहीं मिल पाएगी।
कुशल ने कहा कि यह सिफारिश की जाती है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा लिए जा रहे शुल्क की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र नियामक संस्था गठित करना चाहिए और शुल्क के लिए तर्कसंगत सीमा तय की जानी चाहिए जिसके तहत अलग-अलग र्शेणियों के स्कूल शुल्क लें। बाल आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि अगर केंद्रीय नियामक संस्था संभव नहीं हो तो राज्यों को ऐसी कोई अन्य संस्था को स्थापित करने के लिए निर्देश दिया जा सकता है।
नीचे की स्लाइड्स में जानिए, अनिवार्य शिक्षा अधिनियम-2009 -
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